Saturday, February 25, 2012

गरुण पुराण अध्याय एक भाग एक


18 पुरानों की रचनाएँ ब्यास जी द्वार की गयी लेकिन फिरभी ब्यास जी को बुद्धि स्तर पर शांति नहीं मिल पायी और अंत में ब्यास जी कहते हैं -----


अट्ठारह पुरानों में मात्र दो बाते हैं जिनको तरह – तरह ढंग से ब्यक्त करनें की कोशिश की गयी है जो इस प्रकार हैं ----


परोपकार से बढ़ कर कोई पुण्य नहीं


और किसी को दुःख पहुंचाने से बढ़ कर कोई पाप नही


18 पुरानों में से एक पुराण है गरुण पुराण / इस पुराण को उस ब्यक्ति को सुनाया जाता है जो अपनें परिवार के किसी सदस्य का दाह - संस्कार किया हुआ हो और प्रारंभिक बारह दिनों के सूदक में संन्यासी की भांति जीवन जीते हुए अपने परिवार के मृतक के आत्मा की शांति के लिए कर्म – काण्ड के नियमों का पालन कर रहा हो /


गरुण पुराण अध्याय –01


विष्णु भगवान के क्षेत्र में नैमिषारण्य में शौनक ऋषियों नें एक हजार वर्ष का नियम ले कर स्वर्ग प्राप्ति के लिए यज्ञ करनें का निश्चय किया / एक दिन यज्ञ के दैनिक समापन पर सूतजी वहाँ पधारे और ऋषि लोग सूतजी से यम – मार्ग का वर्णन सुनना चाहा / सूतजी महाराज उस कथा को गरुण पुराण के माध्यम से ऋषि लोगों को बताया जिसको भगवान विष्णुजी गरुन्जिको कभी सुनाया था / गरुण पुराण की कथा वस्तुतः भगवान विष्णु एवं गरुंजी के मध्य हुयी वार्ता है जिसका सीधा सम्बन्ध उस मार्ग से है जिस मार्ग से देह छोडनें के बाद आत्मा गमन करता है / सूतजी कहते हैं , हे ऋषि गणयम मार्ग पाप करने वाले ब्यक्ति के आत्मा के लिए अत्यंत दुःख दायी है और पुण्य करने वाल ब्यक्ति के आत्मा के लिए अत्यंत सुख दायी भी है /


गरुण जी भगवान विष्णु से जो पहला प्रश्न करते हैं वह सूतजी के शब्दों में इस प्रकार है -------


हे प्रभो ! भक्ति की महिमा आप हमें अनेक प्रकार से सुनाया है लेकिनआप मुझे उन दुखों के सन्दर्भ में कुछ बताएं जिनको प्राणियों को यम मार्ग में झेलना पड़ता है /


ऊपर की कथा में दो बातों पर आप ध्यान रखना -------




  • ऋषि गण स्वर्ग प्राप्ति को क्यों चाहते हैं?



  • गरुण जी महाराज जो विष्णु भगवान के साथ हर पल रहते हैं उनको यम मार्ग में पापियों को मिलने वाले दुखों को क्यों जानना चाहते हैं?


    ======ओम्=====






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