<> भागवतकी बायो टेक्नोलोजी <>
# स्वयाम्भुव मनु से स्त्री - पुरुष संयोग से सृष्टि रचना प्राम्भ हुयी , इनसे पहले स्त्री - पुरुष योग के बिना संतान उत्पन्न होती थी।
# भागवत सन्दर्भ :4.13+9.6+9.13 #
# पहले स्वयंभुव मनुके छठवें बंशज बेन थे। बेनकी जब मृत्यु हुयी तब कोई सम्राट न था जो राज्य को चलाता । ब्राह्मण ( ऋषि ) लोग बेन की दाहिनी भुजका मंथन किया और फल स्वरुप पृथुका जन्म हुआ ।
# पृथु स्वायम्भुव मनुके सातवें बंशजका जन्म एक नर के देह से संभव हुआ ।
<> इक्ष्वाकु के 100 पुत्रों में दुसरे पुत्र थे राजा
निमि । निमिको ऋषि बसिष्ठके कारण देह त्यागना पडा था । निमिको ब्राह्मण लोग ( ऋषि समुदाय ) पुनः ज़िंदा करना चाहा लेकिन राजा निमि निबृत्ति परायण योगी थे जिनको देह से कोई लगाव न था ,वे पुनः देह में वापिस लौटनें से इनकार कर दिये ।
<> फिर राजा निमिके देह का मंथन किया गया और जो नर पैदा हुआ उसका नाम पड़ा मिथिल ,बिदेह और जनक । सीताजीके पिता जनक परम्पराके 21वें जनक थे । भागवत में जनक परम्पराके 51 बिदेहोंका वर्णन मिलता है ।
** आज बायो टेक्नोलोजी में जो हो रहा है , उसका तरीका हो सकता है अलग हो लेकिन ऐसा काम किसी न किसी रूप में पहले भी होता रहा है ।
~~ ॐ ~~
Tuesday, September 23, 2014
भागवत से - 22
Wednesday, September 3, 2014
भागवत से - 21
<> ऋषभजी इक्ष्वाकु कुलके नहीं थे <>
● ऋषभ देव को जैन मान्यता में पहले तीर्थंकर के रूप में देखा जाता है और इनको आदिनाथ नाम से भी जाना जाता है ।
● ऋषभदेवजको श्रीमद्भागवत -महापुराण में निम्न सन्दर्भों में देखा जा सकता है :--
* भागवत : 1.3+3.21+3.22+4.8+
4.12+5.1+5.2+5.3+5.4+5.5+5.6
+5.7+5.8+5.9+5.19
● भागवत: 5.1-5 3 > यहाँ भागवत कहता है ," ब्रह्मा पुत्र स्वायम्भुव मनु (पहले मनु ) के पुत्र प्रियब्रतका ब्याह विश्वकर्माकी पुत्री बर्हिष्मती से हुआ था । प्रियब्रके पुत्र थे आग्निध्र और आग्निध्रके पुत्र थे नाभि इसप्रकार नाभि स्वायम्भुव मनु के प्रपौत्र थे ।
नाभि और मेरू की पुत्री मेरु देवी से जन्म
हुआ , ऋषभ देव । ऋषभ देवको विष्णुका आठवाँअवतार माना जाता है ।
** अब देखते हैं इक्ष्वाकु कुल की रचना ।
# भागवत : 9.1-9.6 > ब्रह्मा पुत्र मरिचिसे कश्यप ऋषिका जन्म हुआ । कश्यपसे विवश्वान (सूर्य ) का जन्म हुआ ।विवश्वानसे सूर्य बंशी क्षत्रिय कुल आगे चला ।सूर्य से सातवें मनु श्राद्धदेव पैदा हुए । श्राद्धदेव पहले संतान हीन थे । ऋषि बसिष्ठ मित्र वरुण यज्ञ से पुत्र पैदा करना चाहा लेकिन इला नामकी पुत्री पैदा हुयी । बसिष्ठ पुत्रीको पुत्रमें बदल दिया जिसका नाम रखा गया सुद्युम्न। सुद्युम्न शिव श्रापसे पुनः स्त्री बन गए और उनसे एवं चन्द्रमा पुत्र बुधके योग से पुरुरवाका जन्म हुआ । पुरुरवासे त्रेता युग प्रारम्भ हुआ और चन्द्र बंशी क्षत्रियोंका कुल आगे चला ।बाद में , शिव आराधना से बसिष्ठ इला स्त्री को पुरुष में बदल तो दिया लेकिन वह कुछ समय स्त्री हुआ करते थे और कुछ समय पुरुष । सुद्युम्न अपनें इस जीवन से दुखी होकर पुरुरवा को राज्य देकर तप करनें हेतु बन में चले गए ।
** उधर सूर्य बंशी श्राद्धदेव मनु यमुना तट पर 100 वर्ष तक तप किया और 10 पुत्र प्राप्त किये । श्राद्धदेव मनुके दश पुत्रों में इक्ष्वाकु सबसे बड़े थे ।यहाँ से इक्ष्वाकु कुल प्रारम्भ होता है ।
** इक्ष्वाकु कुल (Ikshwaku dynasty )
में श्री राम का जन्म हुआ और पुरुरवा कुल या चन्द्र बंश में चंद्रबंशी क्षत्रिय रूप में कृष्ण का जन्म हुआ ।
<> ऋषभदेव न तो इक्ष्वाकु कुल में थे न चन्द्र कुल में ,इनका कुल इन दोनों कुलों से बहुत पहले प्रारम्भ हो चुका था । इक्ष्वाकु सातवें मनुके पुत्र थे और स्वायम्भुव मनु तो पहले मनु थे उनके प्रपौत्र के पुत्र थे ऋषभ देव जी (स्वायम्भुव मनु के बाद चौथे बंशज ) ।
<> भागवत : 3.11>
1- एक कल्प में 14 मनु होते हैं ।
2- एक मनुका समय = 71.6/14 ( चार योगों का समय ) =
(1000×4,320,000) ÷14 वर्ष होता है अर्थात 304,571,428.57142 वर्ष
अर्थात लगभग 0.304 billion years.
# अब आप समझें कि :---
ऋषभ देव पहले मनुके प्रपौत्रके पुत्र थे और इक्ष्वाकु सातवें मनुके पुत्र थे ऐसी स्थिति में दोनों के समय में कितनी दूरी है ? लगभग
1.824 billion years .
* ऋषभ देव इक्ष्वाकु से लगभग 1.8 billion वर्ष पहले थे ।
** ॐ **
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