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कर्मभोग से कर्मयोग
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Sunday, March 26, 2017
राधा - उद्धव संबाद
राधा -गोपियाँ और उद्धव संबाद
उद्धव जीको प्रभु कृष्ण अपनें संदेशाके साथ भेज रहे है ......
◆ब्रजमें यह बात अग्निकी तरह फैल गयी कि कान्हाका संदेशा लेकर उनके मथुराके सखा उद्धवजी नन्द बाबाके घर पधारे हुए हैं । सारी गोपियाँ सीधे राधाजीको यह सूचना देती ही रहती हैं कि इतनें में वहाँ उद्धवजी पधारते हैं । कुछ गोपियाँ जो उद्धवजीके संग भी हैं , राधाको बताती हैं कि उद्धवजी कान्हाका संदेश लेकर आये हैं ।
राधा जी कहती हैं , कान्हाका संदेश ! कब आ रहे हैं , कान्हा ?
एक गोपी कहती है , अरे ! कान्हा नहीं आ रहे , वे संदेशा भेजे हैं कि हम सब
उनको भूल जाएं । उद्धवजी हम सबको ज्ञान और योग सिखानें आये हैं जिससे हमसबको मुक्ति मिल सके ।
राधाजी कहती हैं , ज्ञान और योग ! जिससे हम सबको मुक्ति मिल
सके !
लेकिन मुक्ति चाहता कौन है ?
राधा उद्धवसे कहती हैं , भैया ! कान्हाके मथुरा में और मित्र होंगे , आप उनको ज्ञान और योग सिखाएं और उनको मुक्तिकी राह दिखाएं । हम सबको मुक्ति नहीं , उनके दर्शन चाहिए । हमें ज्ञान - योगसे मुक्ति नहीं मिलेगी , संयोगसे मिलेगी जहाँ राधा कृष्ण और कृष्ण राधा बन जाएँ , पूर्ण संयोग और यही है हमारा प्रेम योग , जिसको हम छोड़ कर कोई और योग और ज्ञान नहीं सीखना चाहते ।
कान्हा से कहना कि ब्रजकी गोपियाँ आप द्वारा सिखाये गए प्रेमयोगको भूल कर , उद्धव द्वारा सिखाये गए ज्ञान - योग को नहीं अपनाना चाहती । हमें मुक्ति नहीं , कान्हा का दर्शन चाहिए ।
हम कैसे मान जाएँ कि कान्हा जो प्रेम योग हम सबको सिखाया है , उद्धवजी के ज्ञान - योग से निम्न श्रेणी का है ?
~~~ ॐ हरि ॐ ~~~
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