आइये,आज शांति की खोज की राह पर हम स्वयं को देखते हैं/
हमारा जन्म बाहर – बाहर से देखनें पर शांती की खोज का ही एक भाग दिखता है
मन एवं मंदिर की मूल धातु एक है
मंदिर का जन्म मन आधारित ही है
जैसे देह में ह्रदय मध्य भाग में स्थित है वैसे मंदिर के मध्य भाग [ गर्भ गृह ] में प्रभु की मूर्ति होती है /
गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , सबके ह्रदय में मैं निवास करता हूँ /
परिवार की रचना भी शांति की खोज की ही एक कड़ी है /
महल का निर्माण मनुष्य शांति की खोज के इरादे से करता है /
मनुष्य का जीवन शांति की खोज में गुजरता है लेकिन कितनें शांति को प्राप्त होते हैं ?
क्या धन – दौलत प्राप्ति में शांति है ?
क्या पुत्र प्राप्ति में शांति है ?
क्या मंदिर बनवानें में शांति है ?
क्या मंदिर आनें - जानें से शांति मिलती है ?
अब
आप सोचो की आप शांति कीखोज में कहाँ हैं ?
====ओम्=======
No comments:
Post a Comment