Wednesday, February 8, 2012

शांति पथ पर एक और कदम

आइये,आज शांति की खोज की राह पर हम स्वयं को देखते हैं/

  • हमारा जन्म बाहर – बाहर से देखनें पर शांती की खोज का ही एक भाग दिखता है

  • मन एवं मंदिर की मूल धातु एक है

  • मंदिर का जन्म मन आधारित ही है

  • जैसे देह में ह्रदय मध्य भाग में स्थित है वैसे मंदिर के मध्य भाग [ गर्भ गृह ] में प्रभु की मूर्ति होती है /

  • गीता में प्रभु श्री कृष्ण कहते हैं , सबके ह्रदय में मैं निवास करता हूँ /

  • परिवार की रचना भी शांति की खोज की ही एक कड़ी है /

  • महल का निर्माण मनुष्य शांति की खोज के इरादे से करता है /

  • मनुष्य का जीवन शांति की खोज में गुजरता है लेकिन कितनें शांति को प्राप्त होते हैं ?

  • क्या धन – दौलत प्राप्ति में शांति है ?

  • क्या पुत्र प्राप्ति में शांति है ?

  • क्या मंदिर बनवानें में शांति है ?

  • क्या मंदिर आनें - जानें से शांति मिलती है ?

    अब

  • आप सोचो की आप शांति कीखोज में कहाँ हैं ?

====ओम्=======


No comments:

Post a Comment