Tuesday, February 21, 2012

शांति का द्रष्टा

मनुष्य मनुष्यों का राजा है

मनुष्य पशुओं का राजा है

मनुष्य सभीं जड़ – चेतन का नियंता है

मनुष्य के हाँथ में पृथ्वी,पाताल एवं नभ है

मनुष्य का अपना विज्ञान है

मनुष्य की अपनी चिकित्सा-पद्धति है

मनुष्य का अधिकार सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में है

लेकिन -------

मनुष्य जैसा शांत एवं मनुष्य जैसा अशांत और कोई नहीं , इसका क्या कारण हो सकता है ?

क्या मनुष्यों के अलावा किसी और जीव को भीख मांगते देखा है ?

मनुष्य भीख मांगनें के लिए अन्य सभीं जीवों को नचाता है

लेकिन क्या अन्य जीव कभीं भीख माँगते हैं और क्या भीख मांगनें में मनुष्य को नचाते हैं ?

मनुष्य के अलावा क्या और कोई जीव आत्म हत्या करते हैं ?

आप एक बार मनुष्य एवं अन्य जीवों के जीवनों का द्रष्टा बन कर इस संसार को देखें आप जिस घडी द्रष्टा बनेंगे उसी घडी आप किसी और आयाम में होंगे और आप स्वयं को देख कर आश्चर्य में पड़ सकते हैं की यह मैं क्या कर रहा हूँ , लेकिन जो आप देखेंगे वही सत्य होगा /

अपनें जीवन को अपनें हाँथ में न पकड़ कर रखो

अपनें जीवन को प्रकृति के हाथों में ही रहनें दो

प्रकृति सब का जन्म दाता है ,

सबका संचालक है

और

सब के लिए एक नियम रखता है /


=====ओम्==========


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