Saturday, February 18, 2012

शांति एक राह है

शांति सभीं चाहते हैं

सभीं युद्ध भी चाहते हैं

युद्ध के बाद शांति और शांति के बाद युद्ध एक प्राकृतिक घटना है

युद्ध के ठीक बद विज्ञान के विकास की रफ्तार तेज हो जाती है

पहली-दूसरी विश्व – युद्ध के पूर्व के विज्ञान को देखें और उसके बाद के विज्ञान को भी देखें दोनों में फर्क आप को साफ – साफ़ नजर आएगा/

क्या शांति विज्ञान के विकास में अवरोध है?

यहाँ हम तर्क के आधार पर कुछ बातों को देखा जिनका सम्बन्ध शांति , युद्ध एवं विज्ञान के पारस्परिक संबंधों से है लेकिन एक बात हमें समझनी चाहिए की तर्क से विज्ञान की कुछ बातें तो मिल सकती हैं लेकिन सत्य तर्क से नहीं मिल सकता / विज्ञान में आप सर आइजक न्यूटन से ले कर सर सी वी रमण तक की खोजों को देखें , आप को कोई ऎसी खोज नही मिलेगी जिसमे कुछ परिवर्तन समय – समय पर न किया गया हो अर्थातविज्ञान में जो आज सत्य दिख रहा होता है वह कल असत्य बन जाता है / विज्ञान में तर्क की उर्जा काम करती है , जो संदेह आधारित होती है और सत्य की खोज श्रद्धा आधारित है , जितनी गहरी श्रद्धा होगी उतनी गहरी सत्य की चमक दिखेगी /

शांति के लिए जरुरी है ------

गुण तत्त्वों जैसे आसक्ति , कामना , क्रोध , लोभ , मोह , भय एवं आलस्य तथा अपरा प्रकृति के तत्त्व अहंकार के प्रति होश बनाया जाए और यह होश हमें परम शांति से जोड़ सकता है / दो प्रकार की शांति हम अपने - अपनें जीवन में देखते हैं ; एक शांति भोग आहरित होती है जिमें अशांति का बीज अंकुरित हो रहा होता है और एक शांति वह शांति है जिसमें मनुष्य भोग – योग दोनों का द्रष्टा बन जाता है और इस स्थिति का नाम ही है परम शांति ///

==== ओम्=======



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