Friday, February 3, 2012

मनसे तनकी शांति

तन की शांति या मन की शांति?

तन की शांति जो खोजता है वह यातो तामस गुण से प्रभावित होता है या फिर राजस गुण से क्योंकि सात्त्विक गुण धारी के लिए देह एक माध्यम होता है जिसकी मदद से वह देही पर केंद्रित रहता है / तन का सुख क्षणिक सुख होता है जिस सुख में दुःख का बीज पल रहा होता है / तन की शांति यदि मन की शांति से मिल रही हो तो वह शांति परम से जोड़ सकती है लेकिन इंद्रिय स्तर पर देह की शांति जो भोग के माध्यम से मिलती है वह शांति मात्र भ्रम है /

शांति की खोज सबको है,इस खोज में मनुष्य कहाँ से कहां तक की यात्राएं करता है लेकिन उसे क्या वह शांति मिल पाती है जिसकी उसे तलाश होती है?शांति के लिए कुछ लोग हजारों का चढावा किसी मंदिर की मूर्ती पर चढ़ा देते हैं,शांति के नाम पर बड़े-बड़े मठ.मंदिर एवं अनेक धर्म से जुडी संस्थाएं चल रही हैं लेकिन वहाँ जो लोग रहते हैं,उन संस्थाओं को जो लोग चला रहे हैं ज़रा उनको देखना,वे लोग ऐसी हो सकते हैं जैसे बिष रस भरा कनक घट जैसे/

धर्म के नाम पर जो संस्थाएं चला रहे हैं उनकी संगत कुछ दिन करना और यह देखना की जिस मंदिर से वे जुड़े हैं उस मंदिर में जो मूर्ति है उसका उनके ह्रदय में कितना गहरा स्थान है ?

मन की शांति से मनुष्य की यात्रा परम शांति की ओर अपना रुख कर लेती है जिसके आगे और कोई शांति नहीं / मन की शांति कुछ करनें से नहीं मिलती जो हो रहा हो उसमें होश बनानें से आती है /


=====ओम्======


No comments:

Post a Comment