Thursday, September 30, 2021

ऋग वेद और हम

 ऋग्वेद के कुछ ऐसे प्रमाण यहाँ दिए जा रहे हैं जिनको जानना और समझना ज्ञानयोग साधना का अंग बन सकता है

ऋग्वेद की भाषा वह भाषा नहीं जो अन्य 03 वेदों की है । यह वेद अन्य वेदों का आधार भी है क्योंकि इसके मन्त्र अन्य तीन वेदों में भी देखे जाते हैं ।

आइये अब देखते हैं निम्न दी स्लाइड्स को ⬇️



Saturday, September 25, 2021

भारतीय दर्शन और प्रमाण

 10 भारतीय दर्शनों की बुनियाद प्रमाण है ; प्रमाण ( proof ) के आधार पर सत्य को समझना चाहते हैं ।

प्रमाण उसे चाहिए जो संदेह युक्त बुद्धि रखता है और परमात्मा की अनुभूति संदेह मुक्त स्थिर या निश्चयात्मिका बुद्धि वाले को होती है ।

निम्न 02 स्लाइड्स में प्रमाण से परिचय करते हैं आगे चल कर इनके बारे में विस्तार से चर्चा होगी ⬇️




Wednesday, September 22, 2021

10 भारतीय दर्शनों के अपनें - अपनें मूल मंत्र

 यहाँ आप देख सकते हैं भारतीय दर्शनों के  मूल मन्त्रों को जो अपनें - अपनें दर्शनों के प्राण स्वरुप हैं ।

समस्या क्या है ?

पहले हर दर्शन के अपनें - अपनें स्कूल हुआ करते थे और उनके माननेवाले भी अलग -अलग हुआ करते थे । आज समस्या यह है कि ये सारे दर्शन अलग - अलग न रह कर मिलसे गए हैं । पहले एक दर्शन के स्कूल का आचार्य दूसरे  दर्शन की चर्चा अपनें स्कूल में नहीं करते थे । आज के  दर्शनाचार्य हर दर्शन की चर्चा करते हैं । जब वेदांत पर चर्चा होती है तब वे माया , ब्रह्म , आत्मा की बात करते हैं और वही गुरु जो मूलतः वेदांत को मानने वाले हैं , जब सांख्य पर बोलते हैं तब कहते हैं प्रकृति को माया समझो , पुरुष को आत्मा समझो या फिर कहते हैं पुरुष ही ब्रह्म है । इस प्रकार आज आप जहाँ भी पढ़ेंगे या देखेंगे आपको संकर दर्शन दिखाई / सुनाई  देगा । परिणाम यह होता है कि सुनने /देखने वाला संकर दर्शन को देखता / समझता है । 

इस समस्या के कारण भारतीय दर्शनों के लोगों का दिल  भर सा जा रहा है और लोग भ्रमित हो चुके हैं ।

क्या आप इसका कारण जानते हैं कि सबसे ज्यादा हिन्दू धर्म परिवर्तन कर रहे हैं / क्या इसके कारण को आप जानते हैं ? इसका कारण है उनके अपने धर्म दर्शन के प्रति उनकी भ्रम की मानसिक स्थिति । 

हिन्दू के  धार्मिक आचार्य आपस में लड़ते हैं , एक ही बात को अलग - अलग ढंग से बताते हैं और उनकी आपस में लड़ाई हो जाती है लेकिन ऐसी बात अन्य धर्मों के आचार्यों में नहीं  देखी जाती ।

आदि शंकराचार्य बोल गए - ब्रह्म सत्य है , जगत् मिथ्या है । 3 - 4 सौ साल बाद रामानुजाचार्य जो वेदांत दर्शन के ही आचार्य है आदि शंकर के कथन में सुधार करते हुए बोले - ब्रह्म तो सत्य है लेकिन जगत् मिथ्या नहीं है । समाज में इसका क्या असर हुआ  ? वेदान्त के लोग दो में बट गए । ऐसी ही स्थिति  आज भी बनी हुई है । अतः आपसे प्रार्थना है कि आप पढ़ें सबको लेकिन उनमें से एक को अपनाएं ।

अगर आपको कोई बात थीक न लगे तो आप मुझें क्षमा करें और स्लाइड्स को देखें ⬇️



Tuesday, September 21, 2021

10 भारतीय दर्शनों की अपनी - अपनी मान्यताएं

 # त्रुटि सुधर *

।।वेदांत दर्शन स्लाइड - 2 और -3 दोनों में  दिया गया है ।।

10 भारतीय दर्शनों की अपनी - अपनी मान्यताएं क्या हैं ? इस प्रश्न का उत्तर यहाँ एक जगह तुलनात्मक आधार पर दिया जा रहा है । 

सभीं दर्शनों की मूल मान्यताओं को देखने से ऐसा लगता है जैसे बुद्धि केंद्रित लोग तर्क को आधार मानकर अपनें - अपनें विचारों को व्यक्त किये हों । 

आइये देखते हैं इन 03 स्लाइड्स को ⬇️



Monday, September 20, 2021

10 भारतीय दर्शन क्रमशः

 10 भारतीय दर्शनों की मूलभूत मान्यताएं , आप यहाँ दो स्लाइड्स में देख सकते हैं , निम्न 02 स्लाइड्स में ⬇️



10 भारतीय दर्शन भाग - 2

 10 भारतीय दर्शनों से परिचय श्रंखला का यह दूसरा अंक है । आगे के अंको में कुछ और इन दर्शनों के सम्बन्ध में देखने का प्रयाश किया जाएगा ।

सांख्य द्वैत्यबादी दर्शन है जिसमें प्रकृति - पुरुष दो स्वतंत्र ऊर्जाएं हैं। पतंजलि योग पूरी तरह सांख्य है लेकिन पुरुष तत्त्व में एक पुरुष विशेष तत्त्व के रूप में ईश्वर को रख दिया गया है । 

अद्वैत्य दर्शनों में ब्रह्मा , आत्मा , माया और ईश्वर - के 04 मूल तत्त्व दृश्य वर्ग के आधार हैं लेकिन ईश्वर के विस्तार रूप में अन्य तीन तत्त्वों को देखा जाता है ।

अब स्लाइड को देखते हैं ⬇️


Friday, September 17, 2021

10 दर्शनों में 4 से परिचय

# पिछले अंक के साथ इस अंक को देखें #

10 प्रचलित भारतीय दर्शनों में से आज हम 04 से परिचय कर रहें हैं जो निम्न हैं ...

●चार वाक् ⬇️

● बौद्ध ⬇️

◆ जैन ⬇️

◆ सांख्य ⬇️


~~ ॐ ~~

10 भारतीय दर्शन भाग - 01