Thursday, February 23, 2012

आइन्स्टाइन एवं शांति


अभीं - अभीं वैज्ञानिक लोग यूरोप के किये गए परीक्षणों के आधार पर आइन्स्टाइन के मूल सिद्धांत को गलत करार कर दिया ; आइन्स्टाइन का कहना है - ऎसी कोई सूचना नहीं जिसकी रफ़्तार प्रकास की रफ़्तार से अधिक हो सके लेकिन अभीं - अभीं जेनेवा में किये गए प्रयोगों से वैज्ञानिकों को यह मिला की न्युट्रीनो जो एक सब एटामिक पार्टिकल है उसकी रफ़्तार प्रकाश से कुछ अधिक है /


आइन्स्टाइन सन1905में जब वे लगभग26साल के थे तब बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर मात्र गणतीय तर्क के आधार पर सापेक्ष – सिद्धांत के अंतरगत आज के विज्ञान की बुनियादी बात कही थी और उनकी यह कही गयी बात आज के विज्ञान के दिल की धडकन बन गयी/


जब आइन्स्टाइन थे और हिटलर से उनका ताल्लुकात खराब हो चुके थे तब हिटलर के इशारे पर जर्मनी में तकरीबन एक सौ वैज्ञानिक एक साथ खड़े हो गए आइन्स्टाइन के खिलाफ और आइन्स्टाइन के वैज्ञानिक विचारों को गलत साबित करनें में उन लोगों नें कोई कसर न छोडी लेकिन वे सभीं असफल रहे / आइन्स्टाइन से किसी प्रकार नें प्रश्न किया की ये लोग आप के खिलाफ खड़े हैं और आप चुप हैं , यह बात तो ठीक नहीं दिखती आप को भी कुछ बोलना चाहिए , आइन्स्टाइन कहते हैं , यदि मैं गलत हूँ तो सौ लोगों की क्या जरुरत एक ही काफी था /


अब वैज्ञानिक समुदाय जो आइन्स्टाइन के सिद्धांत को गलत सिद्ध किये थे उनमें कुछ कहनें लगे हैं की हो सकता है बिजली की केबल का कनेक्सन ढीला रहा हो अतः पुनः परिक्षण करना होगा / आइन्स्टाइन सन 1955 में देह छोडी थी और आज इतनें साल बाद भी आज के वैज्ञानिक हिम्मत नहीं जुटा पा रहे की आइन्स्टाइन की बात पर लकीर फेरी जा सके , मैं ऐसे वैज्ञानिक को सैलूट करता हूँ /


आइन्स्टाइन जो आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान एवं न्यूक्लियर विज्ञान का जनक था वह अपनें जीवन में कितन शांत था ? इस सम्बन्ध में आइन्स्टाइन कहते हैं ------


मरनें के बाद यदि अगला जन्म स्व इच्छा से मिलता हो तो मैं एक नलका ठीक करनें वाला मिस्त्री बनाना चाहूँगा न की एक वैज्ञानिक ; मैं शांति के साथ जीना चाहता हूँ //


===== ओम् ======


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