Sunday, December 6, 2015
Saturday, December 5, 2015
Tuesday, December 1, 2015
Wednesday, November 25, 2015
Tuesday, November 24, 2015
Monday, November 16, 2015
Saturday, November 7, 2015
Friday, August 21, 2015
Sunday, August 2, 2015
भागवत स्कंध - 7 सार
Friday, July 31, 2015
भागवत से - 37
गीता 18 पुराणों में से किसी का अंश नहीं है। यह महाभारत का अंश हैबजबकि महाभारत पुराणों में नहीं है । गीता क्यों पुराण आधारित लोगों में अपनीं जगह बना रखा है । लोग गीता की ब्याख्या क्यों भागवत के आधार पर करते हैं ?
Saturday, June 20, 2015
भागवत से - 36
Wednesday, May 27, 2015
भागवत - 35 - गंगा रहस्य
Wednesday, May 20, 2015
भागवत से - 34
" In the beginning ,was the word and the word was with God and the word was God ."
~~ Gospel of John : 1.1~~
* सीधीसी बात गोस्पेलमें कही गयी *
" प्रारंभ शब्दसे हुआ और वह शब्द प्रभुसे प्रभुमें था " -- इस बातका दर्शन श्रीमद्भागवत पुराण स्कन्ध - 3 में कपिल मुनि अपनीं माँ देवहूतिको मोक्षका द्वार दिखानें हेतु सांख्य - योग ज्ञानके अंतर्गत कुछ इस प्रकार से दिया है ।
# माया से काल (time ) के प्रभाव के कारण महतत्त्वकी उपज हुयी ।
# महतत्त्व पर कालका प्रभाव जब पड़ा तब तीन अहंकार ( सत + राजस + तामस ) उपजे ।
# तामस अहंकारसे कालके प्रभावमें शब्दकी उत्पत्ति हुयी ।
# शब्दसे कालके प्रभाव में आकाश भूतकी उत्पत्ति हुयी ।
* आकाशसे स्पर्श , स्पर्शसे वायु , वायुसे रूप ,रूपसे तेज , तेजसे रस , रससे जल , जलसे गंध ,गंधसे पृथ्वीकी रचना हुयी ।
अर्थात
## पञ्च बिषय और पञ्च महाभूतोंकी रचना शब्दसे हुयी और ये 10 तत्त्व जीव निर्माणके मूल तत्त्व हैं । ** विज्ञान की आज की सोच भी कपिल मुनि की सोच से परे की नहीं दिखती ।
-- शेष अगले अंकमें --
~~ ॐ ~~
Friday, May 15, 2015
भागवत से - 33
भागवत से - 32
भागवत से - 32
कुछ वैज्ञानिक सोचके विषय -1
* इस समय बायो टेक्नोलोजी और जेनेटिक विज्ञानमें लिंग परिवर्तन और स्टेम सेलके प्रयोगसे प्रयोगशालामें जीव निर्माण जैसे बिषय समाज में आकर्षणके केंद्र बनें हुए हैं । इस बिषयमें भागवत पुराणके आधार पर कुछ बातें यहाँ दी जा रही है ।
# जब त्रिलोकी जलमग्न था ,पृथ्वी रसातलमें थी तब ब्रह्मा पानीके सतह पर कमलके ऊपर बैठ कर निम्न ऋषियोंकी उत्पत्ति की , बिना मैथुन धर्म अपनाए ।
1- नारदको अपनीं गोदीसे पैदा किया ।
2- वसिष्ठको अपनें प्राणसे उत्पन्न किया ।
3- मरीचिको मनसे पैदा किया ।
4- अत्रिको नेत्रोंसे पैदा किया ।
5- पुलस्त्यको कानसे पैदा किया ।
6- अंगीराको मुखसे पैदा किया ।
7- पुलहको नासिकासे पैदा किया ।
8- भृगुको त्वचासे पैदा किया ।
9- क्रतुको हाँथसे पैदा किया ।
10-दक्षको अंगूठेसे पैदा किया ।
11-कर्मद को अपनीं छायासे पैदा किया ।
12- स्वायम्भुव मनु ( पहले मनु : इस समय सातवें मनुका समय चल रहा है ) और सतरूपा उस समय पैदा हुए जब ब्रह्मा का शरीर दो भागों में विभक्त हो गया था । स्वयाम्भिव मनु और सतरूपा से मैथुन धर्म से प्रजा बृद्धि का काम शुरू हुआ था ।
** शेष भाग -02 में देखा जा सकता है **
~~~ ॐ ~~~
Friday, February 20, 2015
भागवत : 31
* सुलझनके बाद उलझन और उलझनके बाद सुलझन भरा यह संसारका मार्ग , आदि - अंत रहित है।
* जब जीवनका एक अहम समय गुजर जाता है तब किसी -किसीको ऐसा लगनें लगता है कि उसकी यह संसारकी यात्रा सीधी नहीं है ; हम वस्तुतः एक केंद्रकी परिधि पर चक्कर काट रहे हैं । वह केंद ऐसा है जो अपना रूप - रंग बदलता रहता है और उसके इस स्वभावके कारण हम उसे ठीक से पहचाननेंमें चूकते रहते हैं । संसारके इस बृत्तिय मार्गका केंद्र है भोग ।
* यह सांसारिक मार्ग जब उलझन - सुलझन मुक्त होजाती है तब इसका केंद भोग नहीं रहता , इसका केंद्र योग हो जाता है ।
♀ भोग - योग कर्मों में भौतिक अंतर नहीं होता पर अंतःकरण स्तर पर दोनों एक दूसरेके विपरीत होते हैं । * आसक्ति - अहंकार मुक्त कर्म , योग कर्म होते हैं और आसक्ति -अहंकार युक्त कर्म भोग कर्म हैं ।
# आसक्ति - अहंकार मुक्त कर्मको ही निबृत्ति परक कर्म कहते हैं जो ब्रह्म से एकत्व स्थापित कराता है और आसक्ति -अहंकारसे युक्त कर्म को प्रबृत्ति परक कर्म कहते हैं जो नर्कके द्वार तक ले जाता है।
~~ आप क्या चाहते हैं ? ~~
Saturday, January 3, 2015
भागवतसे - 30
* ध्रुवकी कथा *
# आकाश में ध्रुव तारा लोगोंको आकर्षित करता है ,आइये ,देखते हैं भागवत के आधार पर ध्रुवकी कथाका सार ।
# भागवत : 4.8-4.24 तक
# ब्रह्मा कुछ ऋषियों जो प्रजा बृद्धि हेतु पैदा किये जैसे अत्रि ,अंगिरा , पुलस्त्य , पुलह , क्रतु , भृगु , वसिष्ठ एवं दक्ष । जब इन ऋषियोंसे प्रजा बृद्धि जैसी होनी चाहिए थी वैसी न हो सकी तब स्वायम्भुव मनु और सतरूपाको अपनें देह से पैदा किये । अभीं तक पृथ्वी रसातल में थी ,सर्वत्र जल ही जल था और बिना पृथ्वी प्रजा उत्पन्न की जा रही है ; यह बात वैज्ञानिक नज़रिए से देखना चाहिए । ब्रह्मा , स्वायम्भुव मनु और सतरूपा से मैथुन धर्मके माध्यम से प्रजा बृद्धिका आदेश दिया इसके पहले मैथुन प्रजा उत्पन्न करनेंका माध्यम नहीं था , जरा सोचना इस बिषय पर कि बिना स्त्री बच्चा पैदा करना इस कल्प के प्रारंभ नें संभव था जबकि वैज्ञानिक अब 2015 में ऐसी बात सोच रहे हैं कि चमड़ी से एग और स्पर्म का निर्माण संभव है ।
# स्वायम्भुव मनु पहले मनु थे । स्वायम्भुव मनुको दो पुत्र हुए -प्रियव्रत और उत्तानपाद । प्रियव्रत के बंश में तीसरे बंशज हुए रिषभ देव जी जिनको आठवाँ अवतार माना जाता है और उनके पुत्र भरतके नाम पर अजनाभ खंडका नाम भारत वर्ष पड़ा ।
# उत्तानपादके कुल में उनका पोता हुआ ध्रुव। ध्रुव 5 वर्षकी उम्र में मधुबन (मथुरा ) में यमुना तट पर 5 माह तप करके सिद्धि प्राप्त की थी। # ध्रुव 36000 वर्ष राज्य किया और अंत में बदरिकाश्रम जा कर निर्विकल्प समाधिके माध्यम से परम पद प्राप्त किया । # आकाश में ध्रुव तारा जो हम सबको
आकर्षित करता है ,वह सम्राट धुवका निवास है ।
# ध्रुवके कुल में आगे 12वें हुए प्राचीनवर्हि । प्राचीनवर्हि के 10 पुत्रोंको प्रचेता कहते हैं ।
~~ ॐ ~~