Wednesday, March 14, 2012

गरुण पुराण अध्याय दो भाग तीन

ओम् शांति ओम् के माध्यम से हम हिंदू पुराणों से परिचय कराना चाहते हैं और गरुण पुराण इस श्रृंखला का पहला कदम है,आप इन बातों कीलाइनों पर न सोचें अपितु लाइनों को देखते देखते दो लीनों के मध्य जो है उस पर अपनी उर्जा केंद्रित करें क्योंकि पुराणों से शब्दों के आधार पर कुछ नहीं मिलने वाला,हाँ पुराणों को पढ़ना एक ध्यान है जिसमें असत्य के माध्यम से सत्य की यात्रा हो सकती है/


गरुण पुराण के माध्यम से विष्णु भगवान श्री गरुण जी को बता रहे हैं------------

हे गरुण जी ! बैतरनी नदी एक सौ योजन चौडी है जिससे हो कर यम लोक जा रहे ब्यक्ति को गुजरना होता है / वैतरणी नदी के अंदर नाना प्रकार के दुखों को देनें के साधन उपलब्ध हैं जैसे सूई के नोक जैसे मुख वाले कीड़े जो चारों तरफ से काटते हैं , नदी में पानी नहीं उसकी जगह पीव – रक्त होते हैं और अनेक प्रकार के मांसाहारी जीव भी होते हैं जोकताते रहते हैं और उनके काटनें से जो पीड़ा होती है उसे उस ब्यक्ति को सहन करना होता है / बैतरनी नदी में पा रहे कष्टों से उस ब्यक्ति को बोध होता है और वह मन ही मन कहता है , बड़ी मेहनत के फल के रूप में हमें मनुष्य योनि मिली थी लेकिन उसे मैं ब्यर्थ में गवा दिया और वह कहता रहता है … .......

मैं कोई धर्म कार्य नहीं किया , कभी सत् पुरुषों की सेवा नहीं किया , कभीं गंगा स्नान नहीं किया , कभीं कोई कूप एवं जलाशय नहीं बनवाए , गौ की जीविका के लिए कभीं कोई साधन का निर्माण नहीं किया , न रामायण एवंम महाभारत की कथा को सुना , कभीं पुराणों को नहीं सुना , अपनें स्वामी की आज्ञा का पालन नहीं किया , कभी अथिति का सत्कार नहीं किया और इस प्रकार वायु के सामान तेज गति से चलता हुआ वह एक हाँथ का सजीव देह [ मृतक का ] सत्रह दिन की यात्रा के बाद अठारहवें दिन सौम्यपुर पहुंचाता है [ मृतक को सोलह पुरियों को पार करना होता है यम लोग पहुंचनें के लिए , उनमें से यह पहला पड़ाव है ] /

सौम्यपुर

यहाँ नाना प्रकार के प्रेत होते हैं

पुष्पभद्रा नदी होती है

वहाँ उसे अपने धन , परिवार का मोह सताता है और वह दुखी होता है और तब यमदूत कहते हैं , देखा तुमने कोई किसी का साथ देनें वाला नहीं सबको अपनें - अपने कर्मों को अंत में भोगना होता है और तूं भी भोग रहा है / सौम्यपुर में वह मृतक अपनें पुत्र – पौत्र द्वारा दिए गए मासिक श्राद्ध का भोजन करता है और फिर सौम्यपुर से आगे की यात्रा पर निकलता है /

अगला पड़ाव है सारिपुर जिसके सम्बन्ध में अगले अंक में देखेंगे---------


=====ओम्=======


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