Friday, March 9, 2012

सारांश गरुण पुराण अध्याय एक

हिंदू कर्म काण्ड के अंतर्गत मृतक के उस परिजन को [ जेष्ठ या सबसे छोटे पुत्र को ] जो दाह संस्कार करने के लिए मान्य होता है और दाह - संस्कार किया हुआ होता है उसे गरुण पुराण सुनाया जाता है / गरुण पुराण मृतक के परम शांति का द्वार खोलता है , ऎसी बात हमारे हिंदू मान्यता में कही गयी

है / मैं " ओम् शांति ओम् " के माध्यम से कुछ पुराणों एवं शास्त्रों की बातों को ब्यक्त कर रहा हूँ कुछ इस उमीद से कि जो लोग इनको पढ़ें उनको कहीं भ्रम न हो और यदि भ्रम में वे आते भी हैं तो वह भ्रम उनको सही मार्ग पर ले जा सके , आइये देखते हैं अध्याय – 01 के सार को /

  • श्री विष्णु भगवान के क्षेत्र नैमिषारण्य में शौनक ऋषियों द्वारा स्वर्ग प्राप्ति के लिए एक हजार साल तक चलानें वाले यज्ञ का आयोजन किया गया/

  • वहाँ एक दिन यज्ञोपरांत हवन के बाद सूतजी पधारे/

  • सौनक ऋषि गण यम मार्ग का वर्णन जानना चाहा/

  • सूत जी इस सम्बन्ध में उन बातों को बताना प्रारम्भ किया जिनको श्री विष्णु जी भगवान स्वयं गरुण जी को बताया था/

  • राजस् एवं तामस गुण धरी नरक की यात्रा करते हैं और नरक का मार्ग ही यम मार्ग है/

  • नरक वह जाता है जिसके प्राण जनन या मल – मूत्र योनि से निकलता है/

    दस दिन तक पुत्र द्वारा किये जा रहे पिण्ड – दान की गणित------

  • []प्रति दिन का पिण्ड दान के चार भाग हो जाते हैं …...

  • [-]दो भाग पञ्च-महाभूतों को मिलते हैं …..

  • [क – २]एक भाग यम – दूतों को मिलता है …..

  • [क – ३]एक भाग प्रेत को[मृतक को]मिलता है

  • [क – ४]दसवें दिन के पिण्ड से प्रेत का शरीर निर्मित होता है जिसकी लम्बाई एक फीट की होती है और वह चल – फिर सकता है,यह शरीर[प्रेत का]यमपुर में यातनाओं को भागानें जाता है/

[]दस दिनों में एक फीट का प्रेत कैसे निर्मित होता है?

  1. प्रथम दिन से सर , दूसरे दिन से कंधा , तीसरे दिन से ह्रदय , चौथे दिन से पीठ , पांचवे दिन से नाभि , छठवें दिन से कमर एवं नीचे का भाग , सातवें दिन से जंघा , आठवे दिन से जानु , नौवें दिन से पांव और दसवें दिन से भूख – प्यास एवं इंद्रिय जरूरतें पैदा होती हैं /

  2. यम मार्ग पहुंचनें के पहले सोलह पुरियों को पार करना होता है [ पूरी का अर्थ है राज्य ] /

  3. 247 योजन प्रति दिन की यात्रा कर के प्रेत 47 दिन की यात्रा के बाद यम पूरी [ नर्क लोक ] पहुंचता है /

  4. गरुण पुराण के अध्याय एक के सारांश के साथ यह अध्याय यही समाप्त होता है , आगे अध्याय दो प्रारम्भ होगा अगले अंक से -----

====ओम्========



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