Sunday, March 11, 2012

गरुण पुराण अध्याय दो भाग एक

गरुण पुराण अध्याय –02

गरुण जी भगवान विष्णु से जानना चाहते हैं-------

यमलोक का मार्ग कितना दुखदायी होता है?

भगवान विष्णु कह रहे हैं-----

  • भोजन,हवा,पानी एवं विश्रम के लिए कोई स्थान नहीं है,यम लोक की यात्रा में/

  • मार्ग में बारह सूर्य की गरमी का सामना करना पड़ता है/

  • बर्फ जैसी ठंढी हवाओं का सामना करना पड़ता है/

  • मार्ग में काटें उगे होते हैं/

  • विषधर सर्प एवं नाना प्रकार के अन्य विषैले जीवों के विष को सहन करना होता है /

  • घनघोर जंगलों से गुजरना होता है जो दो हजार योजन लंबा - चौड़ा होता है [ एक योजन = 16.4 km ] /

  • मार्ग में खून की , पत्थरों की , आग की और कहीं गर्म पानी की वर्षा होती रहती है /

  • कभी रक्त से भरे , कभीं पीव से भरे कभी विष्ठा से भरे कुंडों से गुजरना होता है /

  • वैतरणी नदी में सूई जैसी चुभन वाले बारीक कीड़े होते हैं जो काटते रहते हैं /

  • वैतरणी नदी में बहुत शालाव होते हैं जिनको पार करना कठिन काम होता है /

  • वैतरणी नदी पापियों के लिए निर्मित की गयी है जिसका आदि - अंत नहीं दिखता /

शेष अगले अंक में-----

==== ओम्======



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