गीता - परम शांति सूत्र
यहाँ आज से गीता के दो सौ सूत्रों को एक क्रम में दिया जा रहा है जो परम शांति
के श्रोत हैं /
गीता के ये दो सौ सूत्र यह बताते हैं :
आज से हजारों वर्ष पूर्व जब भी गीता को लिपिबद्ध किया गया होगा उस समय भारत में
ऐसे लोग थे जिनकी बुद्धि में वह ऊर्जा भरी थी जो बीसवीं शताब्दी में मैक्स प्लैंक और आइन्स्टाइन जैसे बुद्धिजीवियों को पैदा कर सकती थी लेकिन ऐसा यहाँ भारत में न हो कर हुआ पश्चिम में /
चलिए चलते हैं गीता परम शांति सूत्रों की गंगा धारा में नहानें :--------
[क] सूत्र 13.2
देह और जीवात्मा का बोध ही ज्ञान है
awareness of physical body and soul is wisdom .
[ख] सूत्र 3.28
गुण - कर्म के पारस्परिक सम्बन्ध का बोध तत्त्व - वित्तु बनाता है
the awareness ofthe relation of three natural modes and action , makes
yogin who is having the experiencing of the pure truth . tattva – vittu is such
a saint who always enjoys the ultimate reality .
[ग] सूत्र 4.38
योग - सिद्धि ज्ञान के द्वार को खोलती है
perfection of yoga opens the door of wisdom .
[घ] सूत्र 6.15
मन माध्यम से निर्वाण तक की यात्रा का नाम है – ध्यान //
अर्थात
मन को समझना ही निर्वाण है
the awareness of the logical energy of mind , movement of mind and the serenity of mind is NIRVANA
गीता के इन सूत्रों को आप अपनें में बसाओ यदि गीता के माध्यम से प्रभु श्री कृष्ण से मिलना चाहतेहो तब //
Keep these Gita – sutras in your mind and try to understand the concept of the Samkhya – Yoga through which the journey towards the absolute reality becomes possible .
==== ओम ======
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