Tuesday, March 22, 2011

Gita Param Shanti Sutra



गीता परम शांति सूत्र


यहाँ हम गीता परम शांति सूत्रों क श्रृंखला में उन सूत्रों को देख रहे हैं जिनका सम्बन्ध है ,

गीता सूत्र – 8.3 में दिए गए कर्म की परिभाषा को स्पष्ट करते हैं | गीता सूत्र – 8.3 में प्रभु

कहते हैं ------


भूतभाव:उद्भव कर:विशार्ग:कर्म संज्ञित:


हम इस सूत्र के सम्बन्ध में निम्न सूत्रों को एक साथ देखते हैं -------


[ ] सूत्र – 2.51

कर्म फल की चाह जिस कर्म में न हो वह कर्म मुक्ति का द्वार होता है |


[ ] सूत्र – 2.48

आसक्ति रहित कर्म समत्त्व – योग होता है |


[]सूत्र –5.19

समत्त्व – योगी ब्रह्म में होता है |


समत्त्व का अर्थ है भाव रहित मन – बुद्धि स्थिति …...


Choiceless awareness शब्द प्रयोग करते हैं जे कृष्णमूर्ति , समत्त्व – योग के लिए |



गीता के प्यार में जब आप समा जायेंगे तब आप की सारी जिज्ञासा,सारी चाह और

सारी खोज समाप्त हो जायेगी और आप गीता से गीता में आनंदित रहेंगे|





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