Friday, March 18, 2011

gita param shanti sutra

गीता परम शांति सूत्र

[क]

इन्द्रियस्य इन्द्रियस्य - अर्थे
राग - द्वेशौ ब्यवस्थितौ ॥
गीता - 3.34

सभी इन्द्रिय बिषय राग - द्वेष की ऊर्जा से परिपूर्ण होते हैं ॥
all objects carry the energy of passion and aversion

[ख]

बिषयों में छुपे राग द्वेष से जिनकी इन्द्रियाँ प्रभावित नहीं होती
उसे प्रभु प्रसाद रूप में परम आनंद मिला हुआ होता ही ॥
गीता सूत्र - 2.64 - 2.65
whose senses do not get affected by the passion and aversion of objects , he gets
the supreme bliss and remains in ultimate happiness .

गीता के तीन सूत्र आप को दिन भर याद दिलाते रहेंगे की आप जिनसे आकर्षित हैं वे आप को
जो सुख देनें वाले हैं उस सुख में दुःख का बीज भी पल रहा है ।

मनुष्य की इन्द्रियाँ , मन और बुद्धि सब धोखा देती हैं ,
उस समय जब ........
ये गुणों से प्रभावित होती हैं ॥
गुणों की ऊर्जा बनाती है -----
खान ....
पान .....
रहन - सहन ....
आचार - ब्यवहार से ॥
आप इनके प्रति होश बना कर रखें और गीता गुण साधाना में रहें -----

==== ॐ ======

No comments:

Post a Comment