Wednesday, March 30, 2011

राग भय एवं क्रोध




गीता परम शांति सूत्रों की दो सौ श्लोकों कि यह श्रृंखला आप को गीता के सात सौ श्लोकों

में से ऐसे श्लोकों को दे रही है जो -----

कर्म – योग …..

ज्ञान – योग …..

कर्म – बिभाग एवं गुण – बिभाग की अहंम बातों को स्पष्ट करते हैं|


आइये चलते हैं अगले सूत्रों में --------


गीता सूत –2.56


राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति समभाव – योगी होता है ||


गीता सूत्र –4.10


राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी होता है ||


अब ऊपर के दो सूत्रों को एक साथ देखिये जो कह रहे हैं------


राग , भय एवं क्रोध रहित ब्यक्ति ज्ञानी और समभाव – योगी होता है ||


अब देखिये , राग , भय एवं क्रोध हैं क्या ?



राग और क्रोध तो राजा-गुण के तत्त्व है और भय है तामस – गुण का तत्त्व||


अर्थात-----


यहाँ दो सूत्रों में गीता कह रहा है :---------


राजस एवं तामस गुणों की छाया में रहता हुआ ब्यक्ति कभी ज्ञानी नहीं हो सकता और

उसके अंदर सम – भाव की धारा नही बहती जजो सीधे प्रभु में पहुंचाती है||




======ओम=========


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