Friday, February 25, 2011

गीता ध्यान




करनें से क्या होगा ?

रोजाना मंदिर जाना .....
उत्तम है ॥
रोजाना जप करना .....
उत्तम है ॥
रोजाना गीता पढ़ना ...
भी उत्तम है ॥
लेकीन .....
अपनें अन्दर झाँक कर देखना किसी दिन एकांत में बैठ कर की .....
अब इतना करनें से आप के अन्दर क्या कोई परिवर्तन हुआ है ?

क्या आप का अहंकार कुछ नरम हुआ है ?
क्या कुछ - कुछ पराये अपनें से दिखनें लगे हैं ?
क्या प्रकृति की धीमी - धीमी आवाज आप के मन को भानें लगी है ?
क्या कभी - कभी बिना कारण आँखें भर आती हैं ?
क्या कभी ऐसा लगता है की
पेड़ - पौधे आप से बातें करना चाह रहे हैं ?
क्या कभी ऐसा लगता है की
खिलता हुआ फूल आप से मिलना चाह रहा हो ?

जब आप को ऐसा लगनें लगे की ------
आप अकेले नहीं हैं .....
आप के साथ सम्पूर्ण अस्तित्व है ....
तब समझना की .....
आप सही मार्ग पर हैं ,
और ....
प्रभु का आयाम अब ज्यादा दूर नहीं ॥

====== ॐ =====

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