Friday, February 11, 2011

गीता ध्यान

तीसरी आँख की खोज ..........

तीसरी आँख का वैज्ञानिक अस्त्वित्व तो कुछ नहीं है लेकीन .....
शिव - तंत्र सूत्र ....
पतांजलि योग सूत्र ....
महाबीर के तप सूत्र ....
बुद्ध के सभी ध्यान ....
तथा ...
सभी साधनाओं के सभी मार्ग जहां जा कर अदृश्य हो जाते हैं ,
उसका नाम है ......
तीसरी आँख ॥
नाक के अगले भाग के मध्य विन्दु ....
दोनों दोनों आँखों की भौहों के मध्य विन्दु को ....
जो रेखा मिलाती है .....
उसके ऊपर या उसके आस - पास मस्तक पर
कहीं तीसरी आँख होती है जो करोड़ों में एकाध की
आंशिक रूप में सक्रीय होती है ॥

हिन्दू लोग चन्दन अपनें मस्तक पर लगाते हैं
और .....
हिन्दू नारियां अपनें मस्तक पर बिंदी लगाती हैं .....
यह दोनों परम्पराएं आज मात्र चल रही है लेकीन गहराई में इनका सीधा सम्बन्ध तीसरी आँख से है ॥
तीसरी आँख के बारे में हम आगे चल कर कुछ और बातों को देखेंगे
लेकीन यहाँ अभी हम सब अपने - अपने
माथे पर तीसरी आँख को खोजनें का काम करते हैं ॥

यह कैसे पता चलेगा की
अब हम तीसरी आँख पर
अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए हैं ?

बहुत ही सरल बात है -----
आँखे बंद करके आप एकांत में पांच मिनट अकेले किसी शांत स्थान में बैठें .....
अपनी सोच - ऊर्जा को ऊपर बताये गए ढंग से नाक के मध्य से ऊपर की ओर धीरे - धीरे सरकाते रहें .....
जब आप की ऊर्जा दोनों भौहों के मध्य पहुंचेगी तब आप के ह्रदय की धड़कन बदलनें लगेगी .....
आप अपनी ऊर्जा को यहाँ से बहुत धीरे - धीरे ऊपर की ओर सरकाते रहे
और .....
ललाट के मध्य रेखा के दोनों ओर लगभग आधे इंच के क्षेत्र में
ऊर्जा को फैला कर इन्तजार करें और देखें की .....
क्या आप के अन्दर कुछ हो रहाहै ? ....
धीरे - धीरे ऊपर ऊर्जा को उठाते रहें और अपनें अन्तः कर्ण को देखते रहें .....
जब आप की ऊर्जा तीसरी आँख को छुएगी तब ....
आप एकदम बेचैन हो उठेंगे
और .....
इस अभ्यास को बंद करना चाहेंगे क्योंकि .....
आप के ह्रदय की गति कुछ समय के लिए रुक सी जाती है ॥
आप कुछ दिन यहाँ तक ध्यान करें
और
कुछ दिनों बाद हम आगे की यात्रा पर चलेंगे ॥

==== ॐ ======

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