Sunday, February 13, 2011
गीता ध्यान
तीसरी आँख की ओर
गीता की मस्ती
या मस्ती में गीता
ध्यान में मस्ती
या मस्ती में ध्यान
गीता की मस्ती
या
ध्यान की मस्ती को अलमस्ती कहते हैं
और
मस्ती में गीता या ध्यान का नाम है ....
मन - बुद्धि से परे ब्रह्म मय स्थिति
गीता की मस्ती ही ध्यान की मस्ती है जिसके आरम्भ में करता भाव होता है
लेकीन
जैसे - जैसे करता भाव तिरोहित होता जाता है .....
मस्ती में गीता या मस्ती में ध्यान घटित होनें लगता है ....
और
इस घटना में जो मिलता है .....
उसको अलमस्ती कहते हैं ....
जहां निराकार निराकार नहीं रह सकता .....
ऐसे भक्त के लिए उसे साकार में उतरना ही पड़ता है ॥
===== ॐ ========
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