Wednesday, October 2, 2013

भागवत स्कंदग - 2 ( सार )

● भागवत स्कन्ध - 2 ( सार ) 
 <> भागवत स्कन्ध - 2 में निम्न बातें हैं । 
* 10 अध्याय हैं । 
* 382 श्लोक हैं ।
 * यह स्कंध शुकदेव - परीक्षित संबादके रूपमें है । 
°° स्कन्धके ध्यान सूत्र °°
 1- भोगीका दिन धन संग्रह और रात स्त्रीकी तलाशमें गुजरती
 है । 
2- जीवोंमें मात्र मनुष्य ऐसा जीव है जिसके अन्दर प्रभुकी सोच किसी न किसी रूपमें होती है । 
3- होशमय एक घडीका जीवन बेहोशीके 100 वर्षके जीवनसे उत्तम जीवन है ।
 4- शुकदेव जी कह रहे हैं , परीक्षित अभी तुम्हारी मौत सात दिन आगे है तुम चाहो तो वैराज्ञ माध्यमसे मोह ,माया मुक्त हो कर परम गति प्राप्त कर सकते हो । 
5- आसन , श्वास ,इन्द्रिय और आसक्ति नियंत्रणसे वैराज्ञमें उतरा जा सकता है । 
6- वह जिसको अंत समय तक देश -कालसे विरक्ति हो जाती है वह परम गतिका राही होता है । 
7- भागवत : 2.5 : ब्रह्मा का सृष्टि विज्ञान : 
 * माया पर कालके प्रभावसे > महतत्त्वकी उत्पत्ति हुयी । 
* महतत्त्व पर कालका प्रभाव हुआ और तीन अहंकार उपजे । 
* सात्विक अहंकारसे मन और इन्द्रियोंके अधिष्ठाता देवोंकी उत्पति हुयी ।
 * राजस अहंकारसे 10 इन्द्रियाँ , बुद्धि और प्राण बना ।
 * तामस अहंकारसे आकाश बना और आकाशका गुण है शब्द तन्मात्र । 
^ आकाश पर कालका प्रभाव वायुको उत्पन्न किया और वायुका तन्मात्र है स्पर्श । 
^ वायु कालके प्रभावमें तेजको पैदा किया , तेजका तन्मात्र है
 रूप । 
^ तेज और कालसे जल बना , जलका तन्मात्र है रस । 
^ जल और कालसे पृथ्वी बनी ,पृथ्वीका तन्तात्र है गंध ।
 ^^ 05 बिषय ( तन्मात्र ), 05 महाभूत ,11 इन्द्रियाँ ,
 बुद्धि ,तीन अहंकार और तीन गुणों से ब्रह्माण्ड एवं देह पिंडकी रचना है । 
8- भागवत : 2.9 में भागवतके 10 लक्षणों को ब्यक्य किया गया है जो निम्न प्रकारसे हैं । 
* सर्ग *विसर्ग *पोषण * ऊति *मन्वन्तर *ईशानुकथा *निरोध *मुक्ति *आश्रय । # सर्ग : महतत्त्व +महाभूत +अहंकार + इन्द्रियोंकी उत्पति सर्ग है । # विसर्ग : ब्रह्माकी उत्पत्तियाँ जिंक्स आधार सर्ग हैं , विसर्ग कहलाती हैं । 
< भागवत स्कन्ध - 2 समाप्त < 
~~ ॐ ~~

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