~ बुद्ध पुरुष अपनी मौतका द्रष्टा होते हैं ।
~ बुद्ध पुरुष स्वेच्छासे प्राण त्यागते हैं ।
~ बुद्ध पुरुषकी मौत इन्तजार करती है ।
<> बुद्ध पुरुष कैसे प्राण त्याग करते हैं ?
* पहले योग्य जगहकी तलाश करते हैं ।
* उसका इन्तजार करते हैं जिसे अपनी ज्योति देनी होती है ।
°° फिर °°
° वाणीको मनमें ----
° मनको प्राणमें ----
° प्राणको अपान वायुमें ---
° अपान वायुको उसकी क्रियाओं सहित
मृत्युमें ---
° मृत्युको पञ्चभूतमय शरीरमें लीन
करते हैं ।
^^ यह भागवतका सार है ^^
~~~ ॐ ~~~
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