● सुख और दुःख ●
* सन्दर्भ : भागवत स्कन्ध - 10 *
** आप सभीं लोग जरा इस प्रसंग पर सोचना ।
* कृष्ण और बलराम ब्रजमें 11 साल रहे और कंशको जब नारद द्वारा यह पता चला कि सभीं ब्रजबासी विष्णु भक्त देवता हैं और नन्दके पुत्र रूप में रह रहे , कृष्ण - बलराम बसुदेवके पुत्र हैं , कृष्ण विष्णुका अवतार है और बलराम शेषजीका अवतार
हैं । यह सारा तंत्र देवताओं और विष्णुका फैलाया हुआ है , आपको मारनें के लिए । आपके अंत की सभीं तैयारियां हो चुकी हैं केवल वक़्त का इन्जार किया जा रहा है , अब ऐसी परिस्थितिमें अपनें बचनेंका उपाय आप सोच सकते हैं तो सोचें , देर करना उचित नहीं ।
* कंश बसुदेव कुलके सदस्य अक्रूरके माध्यम से कृष्ण , बलराम , नन्द और सभीं ब्रज बासियोंको मथुरा आनेंका आमंत्रण भेजते हैं , मथुरामें धनुष यज्ञका महा उत्सव आयोजित किया जा रहा है ।कृष्ण सहित सभीं ब्रज बासी मथुरा आते हैं और मथुराके बाहर डेरा डालते हैं ।
* कंश बधके साथ दो घटनाएँ एक साथ घटित होती हैं ; कृष्ण जो अभीं तक यशोदा की उंगली पकड़ कर कन्हैयाके रूपमें ब्रजकी गलियोंमें सबके जीवन रेखाके रूपमें घूमते रहते थे , वही कन्हैया माँके सामनें आ कर कह रहे हैं कि अब आप लोग ब्रजको वापिस लौट जाय , मैं आप सबसे मिलनें आऊंगा , आप को दुःख तो होगा लेकिन वक़्त की चाह यही है और दूसरी घटना यह है की दोनों भाई मथुरा से लगभग 600 km दूर उज्जैन सान्दिपनी मुनिके आश्रम शिक्षा प्राप्तिके लिए जाते हैं ।
**अब दो बातें जो ध्यान - माध्यम हैं **
1- उज्जैन में सांदीपनी मुनिके यहाँ 64 दिनों में 64 विद्याओंको ग्रहण करना ।
2- कृष्णके बिना यशोदाका मथुरासे ब्रज की यात्रा जो लगभग 30 km है किस तरह से कटी होगी ?
* कृष्ण शिक्षा प्राप्तिके बाद माँ यशोदा से स्वयं मिलनें न जा कर अपने मित्र उद्धव को भेजते हैं।
* कृष्ण 11 सालके थे जब मथुरा आये और फिर लौटके यशोदा - नन्द से मिलनें कभीं नहीं गए ।
* माँ यशोदा और नंद को जब पता चला कि कुरुक्षेत्र में सर्बग्रास सूर्य ग्रहणके अवसर पर उनका कान्हा वहाँ आ रहे हैं तब सम्पूर्ण ब्रज , माँ यशोदा एवं नन्द कुरुक्षेत्र आये और सभीं तीन माह कान्हाके साथ रहे लेकिन उस समय उनका कान्हा लगभग 75-80 साल का हो चूका था ,यह घटना महाभारत युद्धसे पहले की है ।
** भक्ति मार्गी यशोदा के ह्रदय पर ध्यान करें ।
* और *
** ज्ञान योगी कृष्णके ऊपर ध्यान करें ।
~~~ ॐ ~~~
Monday, October 21, 2013
एक तरफ सुख और दूसरी तरफ दुःख
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