Friday, October 18, 2013

भागवत स्कन्ध - 3 भाग - 1

● भागवत स्कन्ध 3 भाग - 1 ( सार ) 
 <> स्कन्ध - 3 में 1410 श्लोक 33 अध्यायों में हैं ।
 <> यह स्कन्ध ऋषि मैत्रेय और विदुरका संबाद है । 
# विदुर महाभारत युद्धसे ठीक पूर्व धृतराष्ट्र को जो सलाह दिए उसे विदुर नीतिके नामसे जाना जाता है । महाभारत युद्धसे ठीक पहले कृष्ण हस्तिनापुर आये , समझौता करानें लेकिन विफल
 हुए , इसी सन्दर्भमें विदुर को अपमानित किया गया और विदुर हस्तिनापुर छोड़ कर तीर्थ यात्रा पर निकल गए ।
 # विदुर इस यात्रामें सरस्वती के तटके 11 तीर्थो का सेवन किया जो निम्न प्रकार से हैं । त्रित , उशना ,मनु , पृथु , अग्नि , असित , वायु , सुदास , गौ , गुह और श्राद्धदेव । # विदुर जब यात्रासे वापिस हुए तब पहले बृंदाबनमें कृष्णके बाल सखा उद्धवसे मिले और फिर कुशावर्त गंगा तट पर ( हरिद्वारके समीप ) मैत्रेयजीके आश्रम पर उनसे ज्ञान प्राप्त किया ।उद्धव देखनेंमें एकदम कृष्ण जैसे थे और 05 साल की उम्रमें कृष्णकी प्रतिमाएं बनाया करते थे । उद्धवजी असुरोंको भी प्रभु भक्तके रूपमें देखते हैं , उद्धव कहते हैं , असुर लोग द्वेष भावसे ही सही लेकिन हर पल प्रभुको अपनी बुद्धिमें बैठाए तो रहते ही हैं । 
# उद्धव प्रभु की बाल लीलाओं का वर्णन विदुर को सुनाया ।
 # विदुर उद्धवसे मिल कर कुशावर्त क्षेत्र हरिद्वार पहुंचे जहां मैत्रेय का आश्रम था । जब द्वारका एवं यदुकुलका अंत हुआ और प्रभु स्वधाम गए तब मैत्रेय प्रभास क्षेत्रमें सरस्वती तट पर पीपल पेड़के नीचे प्रभुके साथ बैठे थे । 
# मैत्रेयका सृष्टि विज्ञान : स्कन्ध 2.5में ब्रह्माके सृष्टि विज्ञान और यहाँ स्कन्ध -3.5 में मैत्रेय के सृष्टि विज्ञानमें कोई विशेष अंतर नहीं है :
 * तामस अहंकार और कालसे ब्रह्माके विज्ञानमें भूतों की उत्पत्ति होती है और भूतोंसे तन्मात्रों की और यहाँ मैत्रेय तन्मात्र से भूतों की रचना बता रहे हैं ।
 मैत्रेय कहते हैं --- 
# तामस अहंकार और कालसे महत्तत्त्व बना
 * महत्तत्व और कालसे शब्द उपजा हो दृश्य -द्रष्टाका बोध कराता है । + शब्दसे आकाश है । 
* आकाश और कालसे स्पर्श उपज + स्पर्शसे वायु है ।
 * वायु और कालसे रूप उपजा । 
* रूपसे तेज है ।
 * तेज और कालसे रस उपजा । 
* रससे जल है ।
 * जल और कालसे गंध उपजा । 
* गंध से पृथ्वी है ।
 ** 23 तत्त्व ( 11 इन्द्रियाँ + 5 भूत +5 तन्मात्र +अहंकार + महत्तत्त्व ) प्रभुकृपा से आपसमें मिले और अधिपुरुष की उत्पत्ति हुयी ।अधिपुरुषसे सृष्टि आगे बढ़ी ।
 ** स्कन्ध - 3 का यह पहला भाग है ।
** भाग - 2 अगले अंकमें आप देख सकते हैं । 
~~~ ॐ ~~~

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