Friday, October 7, 2011

जीवन मार्ग एक फकीर का

काशी से कर्बला तक


आदि गुर ु नानक जी साहिबकाशी से कर्बला तककी यात्रा किया औरकर्बला से काबापहुंचे/क्या कारण रहा होगा उनके इस यात्रा का?नानकजी साहिब अब सिख धर्म से जुड़े हुए हैं लेकिन वे सत् गुरु थे जो गर्भ से सत् गुरु थे और सत् गुरुओं का सम्बन्ध सब से होता है न की एक विशेष वर्ग

से/नानकजी साहिब जिस क्षेत्र में अवतरित हुए वह क्षेत्र था सूफियों काऔर उनके अंदर शूफी-ऊर्जा भरी हुयी थी/काशी है शिव नगरी और कर्बला है शूफियों का ऊर्जा क्षेत्रऔर काबा अति प्राचीनं परम ऊर्जा क्षेत्र है जिसका सम्बन्ध मनुष्य के सभ्यता से जुड़ा हुआ है न की एक विशेष पंथ से/जैसे काबा है वैसे जेरूसलम भी है और नानकजी साहिब वहाँ भी गए थे/कर्बला,काबा एवं जेरूसलम का संभंध विश्व की अति प्राचीनतम सभ्यताबेबीलोन – सुमेर से है/

सिद्ध गुरु कहीं जाते नहीं उनको वे ऊर्जा क्षेत्र अपनी तरफ खीचते हैं जिनके लिए वे आये होते हैं/ऐसे स्थान या क्षेत्र जहां प्राचीन काल में सिद्ध योगी रहे हुए होते हैं वहाँ की ऊर्जा वर्तमान में जो उस उर्जा के अनुकूल योगी होते हैं उनको बुलाते हैं क्योंकि वह समयांतर में प्यासे हो चुके होते हैं,उन्हें ऊर्जा चाहिए होती है जिससे वे आगे आनें वाले योगियों की मदद कर सके/

कर्बला से काबा जानें के मार्ग में आता हैअलकूफाजो एक रहस्यात्मकशूफी तीर्थ है/अलकूफा को पश्चिमी खोजी हजारों सालों से खोज रहे हैं लेकिन आज तक कुछ प्राप्ति न हो सकी जबकी उस स्थान का नक्शा भी मिल चूक है/कहते हैं,अल्कूफा में सिद्ध सूफियों की आत्माएं रहती हैंऔर जब कोई फकीर साधना में पक जाता है,आखीरी छोर पर खडा होता है तब उसको वहाँ की आत्माएं अपनी तरफ खीच लेती हैं और उसके इस संसार से सभीं बंधन टूट जाते हैं/वहाँ पहुंचा फकीर तन से तो होता है लेकिन यहाँ के लोग उसे पागल कहते हैं/नानकजी साहिब एक सिद्ध शूफी फकीर थे और आनाही कर्बला से काबा की यात्रा के दौरान अल्कूफा भी गए थे जिसका किसी के पास कोई प्रमाण नहीं है लेकिन जो नानकजी की आत्मा के करीब हैं उनको पता है//


=====ओम्======


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