Saturday, October 26, 2013
भागवत में यह भी है
Thursday, October 24, 2013
भागवत में अक्रूर कौन थे ?
●अक्रूर कौन थे ?●
सन्दर्भ : स्कन्ध - 9 + 10
** 1- ब्रह्मा से अत्रि ऋषि ,अत्रिसे चन्द्रमा , चन्द्रमा और ऋषि बृहष्पतिकी पत्नी तारा से बुध पैदा हुए । ** 2- ब्रह्मासे कश्यप ऋषि ,कश्यपसे विवश्वान (सूर्य ) ,सूर्यसे श्राद्धद्रव मनु हुए । श्राद्धदेवसे इला पुत्री पैदा हुयी जो एक माह सुद्युम्न पुत्र रूपमें रहती थी और एक माह इला पुत्री रुपमें। इला पुत्री और बुधसे पुरुरवा हुए जिनसे चन्द्र बंश चला । पुरुरवा और उर्बशी का मिलन कुरुक्षेत्रमें सरस्वती नदीके तट पर हुआ था । पुरुरवासे 06 पुत्र हुए जिनमें आयु के पौत्र ययाति और शुक्राचार्य पुत्री देवयानी से यदु हुए । यदुके 04 पुत्र हुए जिनमें क्रोष्टा के बंश में आगे विदर्भ हुए । विदर्भ के तीन पुत्रों में क्रथके बंश में शकुनि
हुए । शकुनिके बंशमें सात्वक हुए जिनके 07 पुत्र हुए , उन सात में बृण्णिसे श्वफलक और चित्ररथ
हुये । चित्ररथसे कृष्णके दादा शूरसेन हुए और श्वफलक से 12 पुत्रों में एक हुए अक्रूर ।
* अब आगे *
* गोकुलमें बैल रूपमें आये अरिष्टासुरका अंत हो रहा है और उधर मथुरामें नारदजी कंशको सच्चाई बता रहे है कि कृष्ण , बलराम कौन हैं और वह कन्या जिसे तुम मार रहे थे ,वह कौन थी ?
* अक्रूरजी कृष्ण बंशसे सम्बंधित थे लेकिन रह रहे हैं मथुरामें अतः कंश अक्रूरको ब्रज भेज रहा है ,कृष्ण और बलराम को लेनें हेतु । कंश मथुरामें धनुष यज्ञका आयोजन कर रहा है और यह आयोजन मात्र एक बहाना है ।
* आज नन्द गाँव और मथुराकी दूरी 32 km है और अक्रूरजी इस दूरीको एक दिन में पूरी कर रहे हैं ; वे सुबह चल रहे हैं और सूर्यास्तके समय नन्दके यहाँ पहुंच रहे हैं । नन्दके गौशालाके पास कृष्ण - बलरामजी अक्रूरजी से मिले और सादर उनको घरके अन्दर ले गए ।
*कंश बध के बाद बलराम और कृष्ण अक्रूर जी के घर भी गए ।
* कृष्णकी पत्नी सत्यभामा के पिता हैं सत्राजित जो सूर्यके भक्त थे और सूर्यसे उनको स्यमन्तक मणि मिली थी । कृष्ण उस मणि को द्वारकानरेश उग्रसेन जी को देनें की राय दी पर सत्राजित ऐसा न कर सके। उस मणि को सत्राजित के भाई प्रसेन पहनकर शिकार खेलने बनमें गए और एक शेर उनको मार कर मणि ले ली और अंततः वह मणि जाम्बवान के पास पहुँच गयी । कृष्णका नाम आनें लगा की वे प्रसेन जो मार कर मणि ले लिए हैं अतः कृष्ण मणिका पता करते हैं और 28 दिन तक जाम्बवान से युद्ध करते
हैं , जाम्बवान अपनी पुत्री जाम्बवंतीके साथ उस मणिको कृष्ण को दे देता है । कृष्ण उस मणि को सत्राजित को वापिस करते हैं । कृष्ण और बलदेव हस्तिनापुर आये हैं और उधर द्वारका में अक्रूर और कृतवर्मा शतधन्वाको सत्राजितके खिलाफ तैयार कर रहे हैं , फलस्वरुप शतधन्वा सत्राजित को मारता है । मणि अक्रूर जी के पास रख कर शतधन्वा कृष्ण के भय के कारण भाग निकलता है । कृष्ण - बलराम उसका पीछा करते हैं और मिथिला पूरी के पास पहुंचते पहुंचते सतधन्वा को कृष्ण मारते हैं पर मणि तो उसके पास है नहीं । बलराम कई साल विदेहके पास रहे और कृष्ण द्वारका वापिस आगये । अक्रूरजी से उस मणि को लेकर कृष्ण उग्रसेन को देते हैं ।
* कंश बधके बाद कृष्ण अक्रूरजीको हस्तिनापुर भेजते हैं यह पता लगानें हेतु कि कौरओं का पांडवों के साथ कैसा ब्यवहार है । पांडु की मौत हो चुकी है , धृतराष्ट्र हस्तिना पुरके सम्राट बन गए हैं लेकिन अपनें पुत्रोंके बशमें होनेंके कारण उनका पांडवों के साथ ब्यवहार ठीक नहीं है । अक्रूर कई माह हस्तुनापुर में रहते हैं , स्थिति का अध्यन करनें हेतु और वापिस आकर कृष्ण को वहाँ की स्थिति से अवगत कराये हैं। ~~~ ॐ~~~
Monday, October 21, 2013
एक तरफ सुख और दूसरी तरफ दुःख
● सुख और दुःख ●
* सन्दर्भ : भागवत स्कन्ध - 10 *
** आप सभीं लोग जरा इस प्रसंग पर सोचना ।
* कृष्ण और बलराम ब्रजमें 11 साल रहे और कंशको जब नारद द्वारा यह पता चला कि सभीं ब्रजबासी विष्णु भक्त देवता हैं और नन्दके पुत्र रूप में रह रहे , कृष्ण - बलराम बसुदेवके पुत्र हैं , कृष्ण विष्णुका अवतार है और बलराम शेषजीका अवतार
हैं । यह सारा तंत्र देवताओं और विष्णुका फैलाया हुआ है , आपको मारनें के लिए । आपके अंत की सभीं तैयारियां हो चुकी हैं केवल वक़्त का इन्जार किया जा रहा है , अब ऐसी परिस्थितिमें अपनें बचनेंका उपाय आप सोच सकते हैं तो सोचें , देर करना उचित नहीं ।
* कंश बसुदेव कुलके सदस्य अक्रूरके माध्यम से कृष्ण , बलराम , नन्द और सभीं ब्रज बासियोंको मथुरा आनेंका आमंत्रण भेजते हैं , मथुरामें धनुष यज्ञका महा उत्सव आयोजित किया जा रहा है ।कृष्ण सहित सभीं ब्रज बासी मथुरा आते हैं और मथुराके बाहर डेरा डालते हैं ।
* कंश बधके साथ दो घटनाएँ एक साथ घटित होती हैं ; कृष्ण जो अभीं तक यशोदा की उंगली पकड़ कर कन्हैयाके रूपमें ब्रजकी गलियोंमें सबके जीवन रेखाके रूपमें घूमते रहते थे , वही कन्हैया माँके सामनें आ कर कह रहे हैं कि अब आप लोग ब्रजको वापिस लौट जाय , मैं आप सबसे मिलनें आऊंगा , आप को दुःख तो होगा लेकिन वक़्त की चाह यही है और दूसरी घटना यह है की दोनों भाई मथुरा से लगभग 600 km दूर उज्जैन सान्दिपनी मुनिके आश्रम शिक्षा प्राप्तिके लिए जाते हैं ।
**अब दो बातें जो ध्यान - माध्यम हैं **
1- उज्जैन में सांदीपनी मुनिके यहाँ 64 दिनों में 64 विद्याओंको ग्रहण करना ।
2- कृष्णके बिना यशोदाका मथुरासे ब्रज की यात्रा जो लगभग 30 km है किस तरह से कटी होगी ?
* कृष्ण शिक्षा प्राप्तिके बाद माँ यशोदा से स्वयं मिलनें न जा कर अपने मित्र उद्धव को भेजते हैं।
* कृष्ण 11 सालके थे जब मथुरा आये और फिर लौटके यशोदा - नन्द से मिलनें कभीं नहीं गए ।
* माँ यशोदा और नंद को जब पता चला कि कुरुक्षेत्र में सर्बग्रास सूर्य ग्रहणके अवसर पर उनका कान्हा वहाँ आ रहे हैं तब सम्पूर्ण ब्रज , माँ यशोदा एवं नन्द कुरुक्षेत्र आये और सभीं तीन माह कान्हाके साथ रहे लेकिन उस समय उनका कान्हा लगभग 75-80 साल का हो चूका था ,यह घटना महाभारत युद्धसे पहले की है ।
** भक्ति मार्गी यशोदा के ह्रदय पर ध्यान करें ।
* और *
** ज्ञान योगी कृष्णके ऊपर ध्यान करें ।
~~~ ॐ ~~~
Friday, October 18, 2013
भागवत स्कन्ध - 3 भाग - 1
Tuesday, October 15, 2013
परशुराम और विश्वामित्र
● परशुराम-विश्वामित्र ●
हिन्दू शास्त्रों में विश्वामित्र और परशुरामका महत्वपूर्ण स्थान है और दोनों की मूल भी एक है ।
* ब्रह्मासे अत्रि ऋषि हुए ,अत्रिसे चन्द्रमा और चन्द्रमा वृहस्पतिकी पत्नी तारासे बुध पैदा हुए।
* बुधसे पुरुरवा पैदा हुए । पुरुरवा और उर्बशी का मिलन कुरुक्षेत्र में सरस्वती तट पर हुआ और दोनों ब्याह बंधन में जुड़ गए । पुरुरवा से 06 पुत्र हुए ।
* पुरुरवाके पुत्रोंमें एक थे विजय जिनका पुत्र था
जुह्नु । जुह्नु बंशमें आगे 5वें बंशज हुए कुशाम्बु । कुशाम्बूके पौत्र हुए विश्वामित्र और कुशाम्बू की पौत्री से जम्दाग्नि पैदा हुए जिनके पुत्र थे परशुराम।
* कुशाम्बुके पुत्र गाधि और गाधिके पुत्र विश्वामित्र
थे ।गाधिकी पुत्री सत्यवतीके पुत्र थे जमदाग्नि और जमदाग्निके पुत्र थे परशुराम ।
* सत्यवती बाद में कौशकी नदी बन गयी थी । कौशकी नदी सरयू और गंगाके मध्य हुआ करती
थी ।कौशकी नदीके तट पर श्रृंगी ऋषि परीक्षितको श्राप दिया था ।
~~~ ॐ ~~~