● क्या यह एक बस्ती है ?
● क्या यह एक क्षेत्र है ?
● यह कहाँ है ?
गीताका कुरुक्षेत्र कोई स्थान का नाम न था यह एक क्षेत्रका नाम था जिससे हो कर सरस्वती नदी नदी एवं इक्षुमती नदियाँ बहती थी और दोनों अरब सागरमें पहुँचती थी ।
* भागवत स्कन्ध - 5 में भूगोल दिया गया है जो यह बताता है कि , जम्बू द्वीपका मध्य भाग
इलाबृत्त वर्ष है । इलाबृत्तके दक्षिण में क्रमशः हरि वर्ष , किम्पुरुष वर्ष और भारत वर्ष देश हैं । भारत वर्ष हिमालय पर्वतके दक्षिणमें स्थित वर्ष है अर्थात हिमालय के ऊपर और इलाबृतके मध्य दी देश हैं -हरि और किम्पुरुष ।हनुमानजी किम्पुरुष थे ,इस श्रेणी में ऐसे बानर आते हैं जो मनुष्य जैसा दिखते हों ।
* भागवत : 1.10 > कृष्ण जब महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर से द्वारका निम्न नार्ग से गए थे ।
हस्तिनापुर - कुरुजांगल - पांचाल - शूरसेन - ब्रह्मावर्त - कुरुक्षेत्र - मत्स्य - सारस्वत - मरुधन्व - सौभिर - आभीर - आनर्त - द्वारका ।
<> अब जरा सोचिये कि कुरुक्षेत्र की स्थिति क्या है ? अब कुछ और सूचनाएं :----
* जम्बू द्वीपके मध्य देश इलाबृत्तके उत्तरमें क्रमशः रम्यक , हिरण्य और कुरु देश ( वर्ष ) हैं ।
कुरु देशके बाद उत्तर में कोई देश नहीं है सागर है। इलाबृत्तके मध्य में मेरु पर्वत है जहाँ गंगा उतरते ही चार धाराओं में विभक्त हो जाती हैं । गंगा की वह धारा जो कुरु देशको पार करती हुयी सागरसे जा मिलती है उसे भद्रा कहते हैं और भारत वर्ष से बहनें वाली धारा को अलखनंदा कहते हैं ।
* महाभारतके समय मूल कुरु , भूगोल की दृष्टि से चीन , मंगोलिया और रूस का भाग था ।भारत वर्ष में दक्षिण कुरुके अंतर्गत हिमालयके दक्षिणी भाग जैसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जमुनाके पश्चिम में हरियाणाका भू भाग , दक्षिणी हरियाणा तथा राजस्थानका कुछ पूर्वी भाग आते हैं ।दक्षिण हरियाणा से होती हुयी राजस्थान के कुछ भागों से हो कर सरस्वती , नर्वदा और यमुनाके मध्य से गुजरती हुयी मध्य प्रदेशके अम्बिका पुर तक जाती थी और फिर अम्बिका बन से पश्चिम मुखी हो कर नर्वदा के समानांतर बहती हुयी नारायण सरोवर के पश्चिम में प्रभास क्षेत्रके भी पश्चिम में सागर से मिलती थी ।कुरुक्षेत्र से सरस्वती और इक्षुमती ये दो प्रमुख नदियाँ अहमदाबाद ( गुजरात ) की ओर से होती हुयी आगेअरब सागर से मिलती थी । सरस्वती नरायण सरोवरसे सागर में गिरती थी और इक्षुमती सिंध देश में पहुँच कर सागर में गिरती थी । नरायण सरोवर सरस्वती और सागर के संगम का नाम है
<> अब कुछ और बातें :---
* महाभारत में 18 खंड हैं ।
* गीतामें 18 अध्याय हैं ।
* महाभारत युद्ध 18 दिन चला था ।
* युद्धमें 18 अक्षवनी सेनायें भाग ली थी ।
* युद्धमें 21870 लोग प्रति दिन मारे गए ।
* महाभारत में 6वां खंड भीष्मखंड है ।
* भीष्मखंडके 4 उप खंड इस प्रकार से हैं ---
1- जम्मू खंड निर्वाण पर्व ( 6.1-6.19 )
2- भूमि पर्व ( 6.11 - 6.6.24 )
3- गीता ( 6.25 - 6.42 )
4- भीष्म पर्व ( 6.43 - 6.122 )
* महाभारत युद्ध में पांडव पक्ष में कौन लोग थे ?
> द्वारका , काशी , एक भाग कैकेयका , मगध , छेदी , पंड्या , मथुराका यदूकुल , ये सभीं पांडव पक्ष में थे और :---
* कौरव पक्ष में निम्न लोग थे :---
> प्रागजोतिश , मत्स्य , अंग , कैकेयका एक भाग , सिन्धु देश , माहिष्मती ( इंदौर ) , उज्जैन , गंधार , बालिका , काम्बोजा , यवन , सक , तुसार
** कुरुक्षेत्र के सम्बन्ध में निम्न बात को भी देखना चाहिए :---
> उत्तर में सिरहंद ( पंजाब ) बताया गया है ।
> दक्षिण में खंडवा ( दिल्ली ) का जंगली क्षेत्र बताया गया है ।
> पूर्व में panin
> पश्चिम में मरू
कुरुक्षेत्र की यह स्थिति Buddhist scripture Anguttara Nikaya में दिया गया है ।
● भागवत 12.1-12.2 में दिए गए वर्णन से महाभारत से 2013 तक 3450 वर्ष बनाता है और उस समय भारत भूमि 16 महाजन पदों में बिभक्त था , कुछ इस प्रकार :------
अंग , मगध, विजी, काशी , मल्ल , कोशल ,पंचाल , वट , चेतिया , अवंती , असाका , मत्या, सुरसेना , कुरु , गंधार , कम्बोज ।
● कुरु जनपद ●
> गंगा और यमुना के मध्य का भाग …
> यमुना और सरस्वती के मध्य का भाग…
> हस्तिनापुर थानेश्वर और हिसारके मध्यका त्रिभुजाकार क्षेत्र कुरुजनपद था ; हस्तिनापुर और यमुनाके मध्यका भाग था कुरुराष्ट्र और शेष भाग दो भागो में था ------
1- दिल्ली के आस पासका भाग ।
2- कुरु जंगल ।
1- दिल्ली क्षेत्र में निम्न आते थे :---
दिल्ली , मेवात , रोहतक तथा आस पासका क्षेत्र
2- कुरु जंगलकी स्थिति निम्न प्रकारसे थी :--
> पानीपत से अम्बाला तक तथा अम्बाला से
हिसार , हांसी जींद और रोहतक तक का क्षेत्र कुरु जंगल था और यमुना के पूर्व में भी यह जंगल फैला हुआ था ।
°° कुरुक्षेत्र को वेदोंमें स्वर्ग में रह रहे लोगों के तीर्थ रूप में बताया गया है । उत्तरा बेदी और समंत पंचक तीर्थ का भी नाम इससे जुड़ा है । यहाँ शक्ति पीठ भी है । कुरुक्षेत्र से इक्षुमती और सरस्वती नदी बहती थी । परशुराम यहाँ पांच बड़े - बड़े तालाब बनाए थे जिससे महिष्मति में सहस्त्र बाहु अर्जुन के साथ हुए युद्ध में बहने वाला खून इकठ्ठा हो सके ।
** ॐ **
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