Thursday, September 5, 2013

श्रीमद्भागवतकी एक और झलक

●● यदु , रघु , कुरु और पुरु कुल ●● 
सन्दर्भ : भागवत स्कन्ध - 9
 * एक बात : इतनी सी बात आप अपनें स्मृतिमें रखे रहें कि ---° यदु कुलमें प्रभु श्री कृष्णका जन्म हुआ 
 ° रघु कुलमें प्रभु श्री रामका जन्म हुआ 
 <> अब आगे :----- 
1- ब्रह्मासे अत्रि ऋषि हुए , अत्रिसे चन्द्रमा , चन्द्रमा बृहस्पतिकी पत्नी को चुरा लिया और बुध का जन्म हुआ । 
2-ब्रह्मा से कश्यप ऋषि , कश्यपसे विवस्वान् ( सूर्य ) , सूर्यसे श्राद्धदेव मनु और मनुके पुत्र सद्युम्न हुए जो शिव श्रापसे एक माह स्त्री होते थे तो एक माह पुरुष । स्त्री रूपमें इनको इला नाम से लोग जानते थे । इला और बुधसे पुरुरवा पैदा हुए । चन्द्र बंशी क्षत्री बुध - इलाके बंसज हुए और श्राद्ध देव मनुके अन्य 10 पुत्रों ( इक्ष्वाकु एवं अन्य ) से सूर्य बंशी क्षत्रियों का बंश प्रारम्भ हुआ ।
 3- पुरुरवा और उर्बशी का मिलन सरस्वती नदीके तट पर कुरुक्षेत्रमें हुआ और पुरुरावाके पुत्र ययातिकी दो पत्नियाँ थी । 3.1- एक थी देवयानी , शुक्राचार्यकी पुत्री और
 3.2- दूसरी थी दैत्यराज बृषपर्वाकी पुत्री शर्मिष्ठा ।
 4- देवयानीसे यदु हुए और शर्मिष्ठासे आगे चल कर मन्धाताकी पुत्री बंशमें रघु का जन्म हुआ ।
 5- रघु कुल में श्री रामके पुत्र कुश बंशमें तक्षक पैदा हुआ जो परीक्षितके मौतका कारण बना ।
 6 - शर्मिष्ठाके तीन पुत्रोंमें एक पुत्र थे पुरु । पुरुबंश में भरत हुए जो 27000 वर्ष राज्य किया और इस बंशमें हस्ती हुए जो हस्तिनापुर को बसाया ।हस्ती बंशमें कुरु हुए जो कुरुक्षेत्रको बसाया ।
 7- जयद्रत भी इसी कुल का था ।
 8 - कुरु कुलमें जरासंधका जन्म हुआ था ।
 9 - शंतनु भी इस कुलके थे और इनके कुल में धृतराष्ट्र एवं पांडुका जन्म हुआ ।
 <> यदु , पुरु , कुरु और रघु का इतिहासका सार श्रीमद्भागवत पुराणके आधार पर , यहाँ आपको दिया गया । भागवत की कथा इन कुलोंपर आश्रित है ।
 ~~~ ॐ ~~~

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