Saturday, September 21, 2013

भारत वर्ष और भरत - 01

● भारत और भरत -1● 
<> भारत वर्ष भागवतमें ( स्कन्ध -5 )
 * पृथ्वी सात द्वीपोंमें विभक्त है और जम्बू द्वीप में भारत वर्ष है जिसका प्राचीन नाम अजनाभ खंड है । भारत वर्षको समझनें केलिए जम्बू द्वीपका भूगोल समझते हैं । 
<> जम्बू द्वीपका भूगोल <>
 < इस द्वीपके मध्यमें इलाबृत वर्ष ( देश ) है जिसके मध्य में है पर्वत राज मेरु । 
< मेरुके शिखर पर है ब्रह्माकी सुवर्णमयी ब्रह्मापुरी और उसके नीचे इंद्र जैसे लोकपालों की पुरियाँ हैं ।इस बिषय पर गहराईसे सोचना होगा कि यह जगह हिमालय से आगे दो पर्वत एवं दो देशो से आगे इलाबृत तथा मेरुकी स्थिति कहाँ हो सकती है ? 
●● गंगा ब्रह्मापुरीमें उतरती हैं और इनकी चार धाराएं बन जाती
 हैं ; भद्रा उत्तरकी ओर , अलखनंदा दक्षिणकी ओर , सीता पूर्वकी ओर और पश्चिमकी ओर चक्षु धारा बहती है।एक नहीं चार गंगाकी बात भागवत कर रहा , यह बात भी सोचने लायक है ।
 * अलखनंदा निषध , हेमकूट पर्वतों को और हरिवर्ष और किम्पुरुष देशोंको पार करके हिमालय पर पहुंचती है और हिमालयसे भारत में कदम रखती है जिसे हम गंगा कहते हैं उसे भागवत पुराण अलख नंदा कहता है ।गंगाके भूगोलके सन्दर्भमें आप ध्यान कर सकते हैं ।
 * इलाबृतके ठीक उत्तरमें नील पर्वतसे रम्यक वर्षकी सीमा प्रारम्भ होती है ।
 * रम्यकके उतरमें श्वेत पर्वतसे हिरण्मय वर्ष प्रारम्भ होता है और इसके बाद उत्तर कुरुकी सीमा श्रृंगवान पर्वतसे प्रारम्भ होती है । 
°° इलाबृतके दक्षिणमें क्रमशः निषध पर्वत ,हरिवर्ष , हेमकूट पर्वत , किम्पुरुष वर्ष ,हिमालय पर्वत और हिमालयके दक्षिणमें भारतवर्ष है ।
 ** इलाबृतके पूर्वमें है गंध मादन पर्वत और उसके बाद है भाद्राश्व वर्ष ।
 ** इलाबृतके पश्चिममें माल्यवान पर्वत और केतुमाल वर्ष हैं । ^^ यहाँ आप उत्तरी कुरुके सम्बन्धमें सोच सकते हैं ।उत्तर कुरु हिमालयसे पांच देश और छः पर्वतों के आगे उत्तर दिशा में है , यह भूगोल भागवत पुराण का है , फिर उठाइये एटलस या जाइये गूगल मैप पर और समक्गिये की । यह उत्तर कुरु कहाँ हो सकता है ? अगले अंकमें देखते हैं कि अजनाभ खंड भारत वर्ष कैसे 
बना ? 
~~~ ॐ ~~~

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