Sunday, April 15, 2012

गरुण पुराण अध्याय सात भाग एक

वभ्रू वाहन प्रेत संस्कार वर्णन

गरुण जी अपनें अगले प्रश्न में पूछते हैं--------

हे प्रभु! कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे नरक न जाना पड़े और सत् गति प्राप्त हो सके?

गरुण पुराण अध्याय सात में हमें गरुण जी के ऊपर दिए गए प्रश्न के साथ निम्न बाते देखनें को मिलती हैं …......

  • पुत्र हीन ब्यक्ति नरक की यात्रा करते हैं

  • पुत्र प्राप्ति के उपाय

  • पुत्र की परिभाषा

  • और प्रेत योनि से उद्धार के सम्बन्ध में एक कथा

आइये अब देखते हैं अध्याय सात को …...

श्री विष्णु भगवान कह रहे हैं------

हे गरुण जी! पुत्रवान धर्मात्मा पुरुष कभीं नरक की यात्रा नहीं करता और पुत्र हीन एवं पापी लोग नरक की यात्रा करते हैं/ पुत्र प्राप्ति के लिए हरिबंश पुराण की कथा सुननी चाहिए, शतचंडी का पाठ करवाना चाहिए या शिब की आराधना करनी चाहिए/ वह, जो पुन्नाम नरक से एवं वैतरणी आदि की यात्रा से मुक्त कराये, पुत्र होता है/ एक धर्मात्मा पुत्र सारे कुल को तार सकता है/ पुत्र के मात्र मुख देखनें से ही मनुष्य पित्री ऋण से मुक्त हो जाता है और पौत्र का स्पर्श मात्र देव, पितृ एवं मनुष्य ऋणों से मुक्त होना संभव है/ वेद विधि से जो ब्याह हो उससे जो पुत्र मिलता है वह सीधे स्वर्ग भेज सकता है और रखैल से प्राप्त पुत्र नरक की यात्रा कराता है/ पुत्रों के द्वारा किये गए श्राद्धों से द्वारा मुक्ति

मिलती है/

अगले भाग में आप को एक कथा मिलेगी जो प्रेत योनि से मुक्ति प्राप्त करने के सम्बन्ध में गरुण पुराण में दी गयी है/ आप एक बात को अपनी बुद्धि में बैठा लें कि मैं यहाँ गरुण पुराण को ठीक उस तरह से आप को देना चाह रहा हूँ जैसा यह पुराण है, आप इसे पढ़ें और अपना अर्थ लगाए, मैं इतना काबिल नहीं की गरुण पुराण को अपनें शब्दों में ढाल सकूं/

====ओम्=======



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