Monday, April 9, 2012

गरुण पुराण अध्याय 06 भाग एक

गरुण जी का पाँचवाँ प्रश्न

हे केशव!नरक में आया हुआ जीव माता के गर्भ में कैसे आता है एवं गर्भ में दुःख कैसे भोगता है?

भगवान विष्णु गरुण जी को बताते हुए कह रहे हैं--------

स्त्री का रज एवं पुरुष का वीर्य जब गर्भाशय में एक साथ मिलते हैं तब गर्भ में जीव आता है / जीव का गर्भ में आनें की घटना को कुछ इस प्रकार से समझते हैं ---------

  • मासिक धर्म के प्रारंभिक तीन दिनों में जो गर्भ में जीव आता है वह नरक से आता है

  • मासिक धर्म के चौथे दिन स्त्री स्नान करके पवित्र हो जाती है

  • वीर्य की अधिकता लडके को गर्भ में लाती है

  • रज की अधिकता से लड़की गर्भ में आती है

  • दोनों के बिभाजन से एक से अधिक बच्चे गर्भ में आ सकते हैं

  • जीव अपनें कर्मों के अनुसार वीर्य के विन्दुओं में आश्रय लेता है

  • मासिक धर्म के दस दिन बात रज अंडाकार बन जाता है

गर्भ में जीव के आकार का निर्माण

पहले माह सिर , दूसरे माह भुजा , तीसरे माह नाख़ून – बाल – हड्डी - खाल – लिंग का निर्माण होता है चौथे माह मांस रुधिर , मेदा , मज्जा , एवं धातुओं का निर्माण होता है / छठें महीनें झिल्ली बनती है जिसको जरायु कहते हैं / जरायु में लिपटा हुआ जीव दाहिनें कोख में भ्रमण करता रहता है / जरायु वह माध्यम है जिसमें जीव की सुरक्षा होती है और माँ जो भी ग्रहण करती है जैसे खान , पान एवं

संवेदनाएं , ये सब गर्भ में स्थित बच्चे को इस झिल्ली के माध्यम से मिलती रहती हैं / जरायु एक हर पल बदलती रहनें वाली रासायनिक एवं जैविक झिल्ली होती है जिससे तरह – तरह की दुर्गन्ध आती रहती है /

कुछ अगली बाते अगले अंक में …......

====ओम्======




No comments:

Post a Comment