अध्याय पांच का प्रारम्भ गरुण जी के प्रश्न से हो रहा है,गरुण जी पूछ रहे हैं------
बिभिन्न प्रकार के पापों की पहचान क्या है ? और कौन सा पापी किस योनि को प्राप्त होता है ?
विष्णु भगवान इस अध्याय में गरुण जी के प्रश्न के सम्बन्ध में 72 उदाहरणों के माध्यम से पापों की पहचान एवं पापियों को नरक भोग के बाद मिलनें वाली योनियों को ब्यक्त करते हैं / यहाँ हम उन उदाहरणों में से अधिकाँश को दे रहे हैं जो इस प्रकार हैं --------
ब्रह्म हत्यारा जन्म के बाद क्षय रोग से पीड़ित रहता है
गो ह्त्या करनें वाला कुबड़ा तथा मुर्ख होता है
कन्या को बेचनें वाला कुष्ट रोगी होता है
स्त्री को मारनें वाला एवं भ्रूण हत्यारा भील जाति में पैदा होता है और जन्म भर रोगी रहता है
अगम्य स्त्री के साथ सम्भोग करनें वाला नपुंसक बनाता है
मांस भक्षी के दात लाल रंग के होते हैं
मदिरा पीनें वालों के दात काले होते हैं
अभक्ष्य भोजन खाने वाला पंडित जलोधर रोग से पीड़ित रहता है
जो दूसरों को दिखा-दिखा कर मिष्ठान खाता है वह गलगंड रोग से पीड़ित रहता है
श्राद्ध में अशुद्ध अन्न देनें वाला सफ़ेद कुष्ट रोगी होता है
गुरु का जो अपमान करता है वह मिरगी रोग से पीड़ित रहता है
पाण्डु रोगी वे होते हैं जो वेद – शात्रों कि निंदा करते हैं
झूठी गवाही देनें वाला गूंगा बनता है
ब्राहमण एवं गौ को लात मारनें वाला लंगड़ा होता है
झूठ बोलनें वाला हकलाता रहता है
असत्य को सुननें वाला बहरा होता है
गरुण पुराण में जो कुछ है उसे आप को मैं सेवार्पित कर रहा हूँ , आप स्वयं समझे की यह पुराण क्या है ?
अगले अंक में आगे की बातें-------
====ओम्======
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