गरुण जी के आग्रह पर विष्णु भगवान वर्त्तमान में किये गए कर्मों के आधार पर किसको कौन सा अगला जन्म मिलता है , इस बात को बता रहे हैं और यहाँ हम इस सन्दर्भ में पाचवें अध्याय का तीसरा भाग देखनें जा रहे हैं -------
विष खा कर आत्मा हत्या करनें वाला सर्प योनिमें जन्म लेता है
सदा उद्दण्ड रहनें वाला जंगली हाँथी बनता है
जो ब्राह्मण गायत्री का जाप नहीं करते मन में दुष्टता रखते हैं और दिखावे में साधू सा दिखते
हैं , वे बगुला बनते हैं
जो यज्ञ करनें के अधिकारी नहीं उनसे जो यज्ञ कराते हैं वे सूअर की योनि में जन्म लेते हैं
सुपात्र को विद्या दान न करनें वाला ब्राह्मण बैल बनाता है
वह शिष्य जो गुरु की सेवा न करे , पशु बनता है
विबाद करके ब्राह्मण को जीतनें वाला और गुरु को जबाब देनें वाला ब्रह्म राक्षस बनता है
सियार की योनि उसको मिलती है जो दान का वायदा करनें के बाद दान नहीं देता
मित्र द्रोही पहाडी गीद्ध बनाते हैं
वर्णाश्रम का बिरोधी कबूतर बनता है
ब्यापारी - ठगी , उल्लू बनते हैं
माता - पिता , गुरुजन , भाई – बहन से द्वेष रखनें वाला गर्भ में ही मर जाता है
वह स्त्री जो सास को गाली दे वह जोंक योनि में पहुंचती है
जूँ की योनि उसे मिलती है जो पति का सम्मान न करे
दूसरे पति के साथ सम्बंध बनाने वाली स्त्री चमगादड़ बनती है या दो मुख वाली सर्पिणी
बनती है
स्वगोत्र की स्त्री से सम्बन्ध स्थापित करनें वाला भालू बनता है
तपस्वी स्त्री के साथ सम्बन्ध स्थापित करनें वाला मरुस्थल में पिशाच योनि में जन्म लेता है
=====ओम्======
No comments:
Post a Comment