Friday, November 4, 2011

जयद्रत कौन था

भूले-बिसरे दिन

भाग –01

ओम् शांति ओम् में आज से भूले - बिसरे दिन नाम से एक श्रृंखला प्रारम्भ हो रही है जिसके अंतर्गत हम भारत के प्राचीनतम इतिहास में झांकने का प्रयाश करेंगे / आज इस श्रृखला के अंतर्गत महाभारत युद्ध के एक प्रमुख सम्राट जयद्रत को ले रहे हैं //

क्यों जयद्रत महाभारत युद्ध में कौरव का साथ दिया?

इस प्रश्न को समझनें के लिए आप को वर्तमान के उस मानचित्र पर जाना होगा जिसमें पूर्वी इरान , अफगानिस्तान और पाकिस्तान का वह भाग जिसका सम्बन्ध सिंघ नदी की सभ्यता से है /

कौरवों की माँ थी गंधारी जो गंधार की राजपुत्री थी / गंधार वह इलाका है जहां आज तालिबान की गोलियाँ बरस रही / जयद्रतसिंध , सब्बिरा एवं सीवि का सम्राट था / आज का कराची एवं उसके आस पास का क्षेत्र एवं बलोचिस्तान का क्षेत्र , सिंध नदी के पूर्व में एवं पश्चिम में जो क्षेत्र आता है वह जयद्रत का राज्य था / कराची से पेशावर तक का क्षेत्र सिंध नदी की सभ्यता का क्षेत्र है / जयद्रत का इस क्षेत्र में मेहरगढ़ सभ्यता मिली है जो तकरीबन 7000 – 5500 BCE की मानी जाती है / इस सभ्यता में दो बाते प्रमुख हैं ; एक तारकोल [ Butimen ] का प्रयोग एवं दूसरा है स्त्री के दाँतों को और अधिक सुंदर बनानें के लिए दाँतों में सुराख करके उनमें धातु की कीलें लगायी जाती थी / शायद दन्त चिकित्सा का इससे और अधिक पुराना कोई और उदाहरण अभी उपलब्ध न हो /

जयद्रत कोई और न था यह गंधार के राज कुमार सकुनी का ही रिश्तेदार था / अगले अंक में कुछ और बातें देखेंगे //

कभीं - कभीं पीठ पीछे घूम कर देखना गलत नहीं यदि उस से आगे की यात्रा सकुशल रहनें की गुंजाइश बनती हो लेकिन बार – बार पीछे देखते रहनें वाला हमेशा पीछे ही रह जाता है //


== ======= ओम् ===========


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