Saturday, November 12, 2011

सरयू का किनारा और अयोध्या

सरयू नदी का यह स्थान क्या-क्या नहीं देखा?

अयोध्या

दिल्ली से 556 Km दूर स्थित प्राचीन कोसल की राजधानी जो कभी साकेत के नाम से जानी जाती थी , सरयू नदी के तट पर बैठे क्या क्या - क्या नहीं देखा , लोग करते रहे और यह देखती रही और जो देखा उनमें से कुछ बातें अप को यहाँ मिलनें वाली हैं / साकेत का अर्थ है वह जो स्वर्ग सा हो ; किसनें स्वर्ग देखा है ? लेकिन अति खूबशूरत अनुभव को स्वर्ग के नाम से ब्यक्त करना ब्यक्त करनें कीआखिरी सीमा को दिखता है / जैन परम्परा में 24 तीर्थंकरों में से 05 की यह जन्म भूमि रही है और प्रथम तीर्थंकर श्री रिषभ नाथ का भी जन्म स्थान अयोध्या ही है अर्थात जैन परम्परा का प्रारम्भ अयोध्या से जुड़ा हुआ है / इतिहास के झरोखे से देखनें पर श्री हरिश्चंद्र [ सत् युग में ] यहाँ के 31 वें सम्राट रहे हैं और चक्रवर्ती सम्राट दशरथ [ त्रेता - युग में ] 63 वें सम्राट थे / भगवान स्वामीनारायण भी यहीं पैदा हुए थे और वे भी सुर्यबंशी क्षत्रिय थे / 6 CBCE से 6 CCE तक यह ब्यापार एवं दर्शन रहस्य का केंद्र रहा है / ईसापूर्व में मौर्य राजाओं से सम्मान प्राप्त हुआ इस नगर को फिर कुषाण [ 126 CE ] सम्राट इसे अपनाया , फिर आया गुप्त राजाओं का समय और उनके समय में भी इसे सर्वोच्च स्थान मिला रहा / गुप बंश के बाद आये हर्षवर्धन जिनका साम्राज्य गुजरात से उडीसा तक एवं कश्मीर से नर्मदा नदी की घाटी तक फैला और ये महायान बुद्ध – परम्परा को माननें वाले थे / धीरे - धीरे समय गुजरा लोग बदले और 1528 में बाबर के राज्य के यहाँ का प्रमुख मंदिर को तोड दिया गया और उस स्थान पर एक मस्जिद को खडा कर दिया गया जिसको लोग बाबरी मस्जिद के नाम से जानते हैं / 1528 से 1991 तक यह मस्जिद आकाश को निहारता रहा लेकिन 464 साल बाद इसे समाप्त कर दिया गया , अब वहाँ न मस्जिद है और न ही कोई मंदिर / अब आगे ------- जब यह मस्जिद बना उस से थीं चार साल बाद श्रो तुलसीदास जी पैदा हुए और 43 साल की उम्र में श्री रामचरितमानस का बालकाण्ड यहीं अयोध्या में लिखा / श्री राम जन्म का रामचरित मानस में बहुत ही आकर्षित वर्णन किया गया है / कहते हैं मुग़ल सम्राट आकाबर से तुलसीदास को सम्मान भी मिला था / क्या तुलसी दस रामलला के जन्म भूमि के स्थान पर मस्जिद बननें की कहानी को नहीं सुना था ? तुलसी दास श्री राम प्रेमी थे उनको गर्भ से रामलला का धरती पर अवतरित होना तो दिखा पर वह स्था न दिखा जहां कौशल्या मां प्रसव - पीड़ा में थी ? क्या कारण रहा होगा कि तुलसी दस रामलला के जन्म स्थान के बारे में रामचरितमानस में कुछ नहीं लिखा ? इन बातों पर आप सोचना लेकिन सकारात्मक रूप में / इसापूर्व सातवीं शताब्दी तक यह नगर बुद्ध मान्यता वालों के अधिकार में रहा क्या वे लोग यहाँ बुद्ध मंदिर नहीं बनवाए होंगे / पांचवीं शताब्दी में चीनी यात्री Faxian लिखते हैं कि यहाँ बहुत सारे बुद्ध मोंस्तेरी थी और फिर Zuangzang 636 AD में जब यहाँ आये तो हिंदू मंदिरों के होने की बात को लिखा है / अब आगे आप देखो और सोचो , मैं अब आप से विदा लेता हूँ //


=====ओम्======


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