Sunday, July 17, 2011

गीता के दो सौ सूत्र भाग पांच

ओम शांति ओम में हम गीता के दो सौ सूत्रों की एक माला बना रहे हैं जो ध्यान का श्रोत बन सकता है / पिछले अंक में हमनें कुछ श्लोकों को देखा जो कहते हैं -------

प्रभु की ओर चलनें वालों की संख्या अनेक है , उनमें से कुछ को सिद्धि भी मिल जाती है लेकिन सिद्धि प्राप्त योगियों में किसी - किसी को प्रभु का दर्शन हो पाता है और अब हम इस सम्बन्ध में कुछ और सूत्रों को देखनें जा रहे हैं … ......

गीता सूत्र –7.16

प्रभु कह रहे हैं-----

चार प्रकार के लोग हैं जो मुझे भजते हैं ; आर्त , जिज्ञासु , अर्थार्थी , ज्ञानी / आर्त का सम्बन्ध उनसे है जो भय से मुक्त होनें के लिए प्रभु को याद करते हैं , अर्थार्थी में वे आते हैं जिनका जीवन धन केंद्रित होता है , जिज्ञासु वे हैं जिनका केंद्र बुद्धि होती है और ज्ञानी वे हैं जो प्रभु को तत्त्व से जानना

चाहते हैं /

गीता सूत्र –7.17

यहाँ प्रभु कह रहे हैं …....

ज्ञानी हमें प्रिय होते हैं /

गीता सूत्र –7.20

प्रभु अर्जुन को बता रहे हैं , देव पूजन से कामना पूर्ति संभव है /

गीता सूत्र –17.4

यह सूत्र कह रहा है …..

पूजा चार प्रकार की होती है ; कुछ लोग देव पूजन करते हैं , कुछ भूत – प्रेत पूजक होते हैं , कुछ लोग पितरों को पूजते हैं और कुछ मुझे पूजते हैं /

गीता सूत्र –5.20

प्रभु यहाँ कह रहे हैं …...

स्थिर – प्रज्ञ योगी ब्रह्म में होता है//

====ओम======


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