गीता के दो सौ सूत्रों की श्रृखला के कुछ और सूत्र------
गीता सूत्र –6.15
मन माध्यम से निर्वाण प्राप्ति का मार्ग ध्यान है //
गीता सूत्र –6.19
योग में डूबे योगी का मन ऐसे शांत रहता है जैसे वायु रहित स्थान में रखे दीपक की ज्योति शांत रहती है //
गीता-सूत्र5.24
अंतर्मुखी योगी निर्वाण प्राप्त करता है //
गीता सूत्र –6.30
जो समस्त प्रकृति की सूचनाओं में प्रभु को देखता है उसके लिए प्रभु निराकार नहीं रह पाता //
गीता सूत्र –7.19
कई जन्मों की साधनाओं का फल है ज्ञान और ग्यानी दुर्लभ होते हैं //
[ज्ञानी वह है जो विकार एवं निर्विकार को समझता है]
गीता सूत्र –7.3
हजारों लोग साधना करते हैं और उनमें कुछ को सिद्धि भी मिलती है लेकिन सिद्धि प्राप्त योगियों में कोई – कोई प्रभु को तत्त्व से समझता है//
गीता के परम श्लोकों को हम आप के सामनें रख रहे हैं,इसमें हमें आप से कोई मतलब नहीं मैं मात्र इतना चाहता हूँ कि गीता के परम शाश्वत ज्ञान को सब प्राप्त कर सकें//
आप गीता के ऊपर दिए गए सूत्रों को पढ़ें और यदि आप को इनका कोई और अर्थ समझ में आये तो आप उसे अपनाएं,मेरी बात को अनदेखी कर दें//
======ओम=======
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