# भगवत : 9.1+ 9.14 - 9.24 तक 497 श्लोक #
** सम्राट पुरुरवा के समय त्रेता - युग प्रारम्भ हो गया था ।
# पुरुरवा कौन थे ?
* ब्रह्मा पुत्र ऋषि अत्रि और अत्रि के आँखों से चन्द्रमा का जन्म हुआ । चन्द्रमा अंगिरा ऋषि जो ब्रह्मा के पुत्र थे , उनके पुत् र बृहस्पति की पत्नी तारा को चुरा लिया और तारासे बुध का जन्म हुआ ।
* बुध और सातवें मनु श्राद्ध देव जी की पुत्री इला से पुरुरवा का जन्म हुआ ।
श्राद्धदेव मनु को पहले कोई औलाद न थी । ऋषि वसिष्ठ मित्रावरुण का यज्ञ करायाऔर फलस्वरूप पुत्र न पैदा हो कर पुत्री पैदा हुयी जिसका नाम रखा गया इला । बसिष्ठ जी इला पुत्री को पुत्र में बदल दिया और पुत्रका नाम हुआ सुद्युम्न । सुद्युम्न पुनः शिव श्राप के कारण स्त्री बन गए । वसिष्ठ पुनः शिव आराधना किया और तब से सुद्युम्न कुछ समय पुरुष और कुछ समय स्त्री रूप में रहनें लगे । स्त्री रूप में सुद्युम्न को इला नाम से पुकारते थे । इआ और बुध का प्यार हुआ और पुरुरवा का जन्म हुआ ।
* इस कल्प के मनु सातवें मनु श्राद्ध देव जी हैं जो पीछले कल्प में द्रविण देश के राजर्षि सत्यब्रत हैं । पुरुरवा इस कल्प के त्रेता युग के प्रारम्भ में
थे ।
<> पुरुरवा बंश में पुरुरवा के बाद कुरु 44 वें बंशज थे ।
## कुरु की बंसावली ##
<> ब्रह्मा से अत्रि ।
<> अत्रि से चन्द्रमा ।
<> चन्द्रमा से बुध ।
<> बुध से पुरुरवा ।
# पुरुरवा और उर्बशिसे 6 पुत्र हुए
# पुरुरवा पुत्र आयु ,आयु पुत्र नहुष और नहुष के 6 पुत्रों में दुसरे पुत्र थे ययाति ।
<> ययातिकी दो पत्नियाँ - शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी और दैत्यराज बृष पर्वा की पुत्री शर्मिष्ठा थी ।
<>देवयानिसे यदु हुए जिनके कुलमें कृष्ण काअवतार हुआ ।
## शर्मिष्ठा से पुरु हुए ।
## पुरु कुल ##
* पूरु के बाद 14 वें हुए दुष्यंत ।
** दुष्यंत और विश्वामित्र कन्या शकुन्तला से भरत हुए ।
** भरत पूरुके बाद15 वें बंसज थे ।
** पुरु के बाद 20 वें हुए हस्ति जिन्होनें हस्तिनापुर बसाया ।
** पुरुके बाद 24 वें हुए कुरु जिनके नाम से कुरुक्षेत्र है ।
## कुछ और बातें अगले अंक में ##
~~ ॐ ~~
No comments:
Post a Comment