Monday, April 7, 2014

भागवत का एक सूत्र

● भागवत माहात्म्यं - 01
 * भागवत खंड -1 , अध्याय - 1* 
<> शौनकजी सूतजी से नैमिष आरण्य क्षेत्रमें यह प्रश्न पूछा :-- > वह जिसके अन्दर भक्ति ,ज्ञान और वैराज्ञ की ऊर्जा प्रवाहित हो रही हो ,उसकी बुद्धि कैसी होती होगी ? 
 * उस प्रश्न का भागवत में कोई उत्तर नहीं है लेकिन गीता में है । 
* प्रभु कहते हैं :--- 
 अभ्यास योग में अपरा भक्ति परा भक्तिका द्वार खोलती है , पराभक्तिमें स्थित ज्ञानी होता है और ज्ञान वैराज्ञका संगीत है जो ब्रह्मवित् बनाता है । ब्रह्मवित् स्थिर प्रज्ञ योगी होता है जिसके लिए प्रभु कृष्ण कहते हैं :---
 * या निशा सर्व भूतानां तस्यां जागर्ति संयमी *
 * यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुने: * 
~~~ हरे कृष्ण ~~~

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