Tuesday, April 29, 2014

भागवत से - 4

1- भागवत : 6 .1 > काल वह केंद्र है जो ब्रह्माण्ड की सभीं सूचनाओं को अपनी ओर खीच रहा है । This concept is called Dark Flow in Physics .
2- भागवत : 4.8 > असंतोष की मूल है मोह ।
3- गीता - 2.52 > मोह - वैराग्य एक साथ नहीं रहते ।
4- गीता - 4.35 + 4.36 + 4.38 + 18.72-18.73 > मोह अज्ञानका तत्त्व है जो ज्ञान से समाप्त होता है ।
5- भागवत : 1.2 > आसक्ति का समापन सत्संग से संभव है ।
6- गीता : 2.48 > आसक्ति रहित कर्म समत्व योग है।
7- गीता : 3.19-3.20 > अनासक्त कर्म प्रभु का द्वार है ।
8- गीता : 2.62-2.63 > मनन से आसक्ति ,आसक्ति से कामना ,कामना से क्रोध और क्रोध से पतन होता है ।
9- गीता : 5.10 > आसक्ति रहित कर्म करनें वाला भोग कर्म में कमलवत रहता है ।
10- गीता : 19.23 > आसक्ति रहित कर्म सात्त्विक कर्म है ।
~~~ ॐ ~~~

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