Wednesday, November 27, 2013

कृष्ण - धन्वन्तरि

● कृष्ण और धन्वन्तरि ● 
सन्दर्भ : भागवत 9.1+9.15 
* सांख्य योगके जनक प्रभु श्री कृष्ण और आयुर्वेदके जनक धन्वन्तरि का बंश एक है । कृष्ण 20वें अवतारके रूपमें देखे जाते हैं और धन्वन्तरिको 12वें अवतार रूप में देखा जाता है ।अब आगे की कथाको देखते हैं ----
 * धन्वन्तरि 
 > ब्रह्मा पुत्र मरीचि ,मरीचि पुत्र कश्यप ऋषि , कश्यप के पुत्र थे , विवस्वान् विवस्वान् के पुत्र हुए सातवें मनु श्राद्धदेव । एक कल्प में चौदह मनु होते हैं और श्राद्ध देव इस कल्पके सातवें मनु हैं । 
* श्राद्ध देवको कोई संतान न होनेंसे वे चिंतित रहते थे । वसिष्ठ ऋषि मित्रावरुणका यज्ञ कराया , पुत्र प्राप्ति हेतु लेकिन पुत्री प्राप्त हुयी जिसका नाम था इला । 
 * इलाको वसिष्ठ पुत्र में बदल दिया जिसका नाम था सुद्युम्न लेकिन श्राद्ध देव मनुके सामनें गहरी समस्या आ खड़ी हुयी , शिव श्राप से सुद्युम्न एक माह स्त्री रहनें लगे और एक माह पुरुष ।
 * जब ये स्त्री रूप में होते तब इनको इला नाम से जाना जाता था और पुरुष रूप में सुद्युम्न नाम से । 
 <> ब्रह्माके दुसरे पुत्र अत्रिके पुत्र चन्द्रमा बृहस्पतिकी पत्नी को चुरा लिया और उनसे बुध का जन्म हुआ । 
 * बुध और इलासे जो पुत्र पैदा हुआ उसे पुरुरवा नाम मिला । पुरुरवाका उर्बधिसे मिलन हुआ , कुरुक्षेत्रमें सरस्वतीके तट पर और दोनोंसे 06 पुत्र पैदा हुए । 
*पुरुरवाके बड़े पुत्र आयु के 05 पुत्रों में दूसरे पुत्र क्षत्रबृद्ध के बंश में 08वें बंशज हुए धनवन्तरि ।।
 * आयुके बड़े पुत्र नहुषके बंशमें द्वापरके अंतमें शूरसेनके पौत्र रूपमें पैदा हुए प्रभु श्री कृष्ण । धन्वन्तरि और कृष्ण पुरुरवा और उर्बशी से प्रारम्भ हुए चन्द्र बंश में पैदा हुए थे । धन्वन्तरि आयुर्वेदके रूप में मनुष्य को परम ज्ञान दिया और कृष्ण 
सांख्य - योगका प्रयोग महाभारत युद्ध में करके यह दिखाया कि कर्म योग से भी वही मिलता है जो ज्ञान योग योग से मिलता है और कर्म योग आगे चल कर ज्ञान योग में रूपांतरित हो जाता है । 
~~ ॐ ~~

No comments:

Post a Comment