Tuesday, December 4, 2012

श्री ग्रन्थ साहिब जी को आप अपना सकते हैं


    ग्रन्थ साहिब उनके लिए है -----

  • जिनमें भक्ति की धुन उठ रही हो
  • जो परम में अपनें को घुलानें को बेताब हो रहे हों
  • जो गुरु की वाणियों में परम धाम का मार्ग देख रहे हों
  • जो तन , मन एवं बुद्धि से पूर्ण रूप से गुरु को समर्पित हों
  • जो जागते सोते गुरु को ही देखते हो
  • और जिसको गुरु के रूप में गोविन्द नज़र आते हों
    नानकजी साहिब कहते हैं , पंचा का गुरु केवल ध्यानु 

    श्री नानकजी साहिब ध्यान को गुरु बता रहे हैं कहते हैं तुम  ध्यान को अपना गुरु बनाओ , आखिर ध्यान है क्या?---
    मनुष्य जो भी करता है उसका सम्बन्ध उसके इंद्रियों मन एवं बुद्धि से होता है लेकिन ध्यान से इन्द्रियाँ , मन एवं बुद्धि में बह रही ऊर्जा का रूपांतरण होता है वह ऊर्जा जिससे हम स्वयं को कर्ता देखते थे वही ऊर्जा अब हमें  द्रष्टा बना देती है और यह जता देती है कि हम कर्ता नहीं करता पुरुष तो वह है हम तो मात्र एक माध्यम हैं
    =एक ओंकार सतनाम    ?

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