Wednesday, December 19, 2012

आदि गुरु नानकजी साहिब की परम पवित्र यात्रा - ii

लाहौर से अमरकंटक ----

अमरकंटक वह परम पवित्र तीर्थ है जहाँ ----

[क] आदि गुरु श्री नानकजी साहिब [ 1469 - 1539 CE ] और ....
[ख] कबीर जी साहिब [ 1398 - 1518 CE ]
दोनों परम प्राप्त सिद्ध योगियों की आपस में मूक वार्ता हुयी थी /
अदि गुरूजी साहिब और कबीर जी साहिब दोनों इस भारत धरती पर एक साथ लगभग 50 वर्षों तक अपनी - अपनी ऊर्जा को बाटते रहे /
अमरकंटक 1000 मीटर समुद्र तल से ऊँचा है और यह वह स्थान है जहाँ ---
* सतपुरा पहाड़
* विंध्याचल पहाड़ मिलाते हैं , और
जहाँ से ....
[1] नर्वदा
[2] सोन
[3] जोहिला एवं ...
[4] अमदोह [ Amadoh ]
चार नदियाँ जन्म लेती हैं /
सतपुरा और विन्ध्य पर्वत जहाँ मिलते हैं वह मैकल पहाडियों के नाम से जाना जाता है /
अमरकंटक और काशी , इस पृथ्वी पर मात्र दो ऐसे स्थान हैं जहाँ एक निराकार शिव ऊर्जा हजार साकार शिव लिंगों के रूप में प्रकट होती है : इस बात को समझना चाहिए -----
काशी क्षेत्र एवं अमरकंटक क्षेत्र , दोनों शिव से सम्बंधित हैं और दोनों ही क्षेत्रों में एक हजार शिव लिंगों के होनें की बात हमारे शास्त्र कहते हैं /
अमरकंटक से सोन नदी पूर्व की यात्रा पर निकलती है और नर्मदा पश्चिम की यात्रा पर /
नर्मदा की उम्र 150 million years गंगा से अधिक है अर्थात नर्मदा नदी गंगा से काफी अधिक बुजुर्ग नदी है / नर्मदा नदी जबलपुर पहुँच कर जिसकी उचाई 400 m. समुद्र तल से है , वहाँ के मार्बल के पहाड़ को चीरती हुयी गुजरात की ओर यात्रा करती है / जबलपुर में आप उस दृश्य को देखें जहाँ मार्बल जैसे कठोर को नर्मदा का पानी किस तरह से काट रहा है / जैसे नर्मदा का तरल पानी मार्बल के कठोरता को समाप्त करता है ठीक उसी तरह आदि गुरु श्री नानकजी साहिब एवं कबीर जी साहिब के बचन मनुष्य के अहँकार को समाप्त करते हैं /

आप कुछ घडी एकांत में बैठ कर सोचना कि -----

अमरकंटक में कबीर जी साहिब और नानक जी साहिब अपनी मूक भाषा में किस ऊर्जा का आदान - प्रदान किया होगा ?

=== एक ओंकार सत् नाम =====


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