Friday, May 25, 2012

गरुण पुराण अध्याय नौ भाग दो

पिछले अंक में गरुण पुराण की कुछ अहम् बातों को रखा गया था और अब इन बातों को

भी देखें----

  • जिस जगह शालिग्राम की विधिवत स्थापना की गयी हो जिसको प्राण प्रतिष्ठा कहते हैं उस स्थान कर जिस ब्यक्ति के देह का अंत होता है उसकी आत्मा को यम पूरी नहीं जाना होता,वह सीधे अपनें मूल श्रोत परमात्मा में जा मिलती है/

  • जो ब्यक्ति पूर्ण होश में अपनें मृत्यु का साक्षी बन कर अपने अंत समय में गंगा - जल एवं तुलसी की पत्ती को अपनें मुख में रखता है वह यम पूरी नहीं जाता सीधे परम गति प्राप्त करता है /

  • काला तिल प्रभु के पसीनें से उपजी समझी जाती है अतः काली तिल के बीजों को बिखेर कर उस पर लेट कर प्रभु की स्मृति में जो अपना प्राण त्यागता है उसे सीधे परम गति मिलती है /

  • एक और बात पिछले अंक में कही गयी थी कि कुशा की चटाई बिछा कर उस पर लेट कर प्राण त्यागने वाला आवागमन से मुक्त हो जाता है , क्या है ऎसी बात कुशा की चटाई में ? कुश एक प्रकार की घास होती है जिसकी पत्ती का अगला भाग सूई की भाति नुकीला होता है / गरुण पुराण कहता है - कुशा की जड़ में ब्रह्मा , मध्य में विष्णु भगवान एवं अग्र भाग में शिवजी रहते हैं अतः यह कभीं भी अपवित्र नहीं होता / गाय के गोबर से लिपी हुयी जगह पर ब्रह्मा , विष्णु , शिव अग्नि , एवं अन्य सभीं देवताओं का बॉस होता है अतः हिंदू परम्परा में ऐसे सभीं स्थान को गोबर से पोतते हैं जहाँ कोई धार्मिक अनुष्ठान करना होता है /

अगले अंक में कुछ और बातों को देखना

आज यहीं तक

====ओम्=====



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