जब मनुष्य को यह प्रतीत होनें लगे की अब उसका सांसारिक भौतिक जीवन कुछ समय का रह गया है तब उसे भोग की तरफ पीठ करनें का अभ्यास करना चाहिए / भगवान विष्णु इस अभ्यास – योग के सम्बन्ध में कहते हैं -------
[क]शालिग्राम का नियमित पूजन करना चाहिए
[ख]ओम् नमः शिवाय का जाप करते रहना चाहिए
[ग]ओम् वासुदेवाय नमः का जप करते रहना चहिये
[घ]भगवान के10अवतारों को अपनें स्मृति में रखना चाहिए
[ङ]विष्णु शहस्त्र नाम का जप करते रहना चाहिए
[च]निम्न प्रकार के दान करते रहना चाहिए ….....
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सप्त धान्य में चावल , गेहू , जौ , मूंग , उर्द , चना , कंगुनी अन्न आते हैं / लोहा दानके सम्बन्ध में हमें देखना चाहिए कि भारत में Iron Age कब था ? इतिहास की खोज यह बताती है कि भारत में लौह युग लगभग 1800 BCE प्रारम्भ हो गया था / लौह दान से प्राणी यम लोक नहीं जाता , ऎसी बात गरुण पुराण कहता है / श्री विष्णु भगवान आगे कहते हैं , तीन प्रकार के तिल होते हैं जिनका जन्म मेरे पसीनें से हुआ है और इनके दान से असुर , दानव एवं दैत्य तृप्त होते हैं / सफ़ेद , काले एवं पीले दिलों का दान शरीर , मन एवं वाणी में संचित पाप नष्ट होते हैं / सोना दान से पृथ्वी , पाताल एवं स्वर्ग के देवता प्रसन्न होते हैं और धर्म राज के सभा के सदस्य भी प्रसन्न होते हैं / कपास का दान यमदूतों के भय से मुक्त कराता है , नमक दान से यम का भय दूर होता है , सप्त धान्य के दान से यमपुर के पूर्व , पश्चिम एवं उत्तर के द्वारों के अधिष्ठाता खुश होते हैं / जितनी जगह पर सौ गौ रह सकें उतनी जमीन का दान करनें से ब्रह्म हत्या का पाप दूर होता है / वह जो हरी - भरी जमीन दान करताहै वह सीधे इन्द्रलोक जाता है /
गोदान के सम्बन्ध में आप अगले अंक में देखें
===== ओम्========
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