Monday, May 7, 2012

गरुण पुराण अध्याय आठ भाग दो

पिछले अंक में गरुण पुराण अध्याय – 08 का सारांश दिया गया था जिसमें यह बताया गया कि सात्त्विक ब्यक्ति को जब यह पता लग जाता है कि अब उसकी उम्र मात्र छः माह और शेष है तब वह क्या - क्या करता है जिससे नरक में उसे न जाना पड़े /

कैसे मालूम पड़ता है की अब उम्र मात्र06 माह की ही शेष है?

इस सम्बन्ध में विष्णु भगवान गरुण जी से कहते हैं--------

मनुष्य को जब प्राण की आवाज न सुनायी दे तब उस ब्यक्ति की शेष उम्र मात्र छः माह की राह जाती है / क्या है प्राण की आवाज ? दोनों कानों को बंद करें और अपने ध्यान को उस आवाज पर केंद्रित करें जो शब्द रहित तो होती हैलेकिन गूज भी रही होती है , यह ध्वनि रहित ध्वनि है प्राण की

आवाज /

कहीं - कहीं यह भी मिलता है कि जब किसी ब्यक्ति को उसके नाशिका का अग्रिम भाग दिखना बंद हो जाता है तब उसकी शेष उम्र मात्र छः माह की राह जाती है और कहीं यह भी कहा गया है कि जब सप्त ऋषि मंडल में अरुंधती तारा न दिखे तब उस ब्यक्ति की शेष उम्र मात्र छः माह की और बचती

है /

गरुण पुराण के इस अध्याय में विष्णु भगवान यह भी बताते हैं कि मनुष्य का जन्म कर्म के लिए होता है , वह कर्म करते हुए जीवन में चलता रहता है और जैसा कर्म करता है उसे अगला वैसा जीवन मिलता है /

अगले अंक में दान के सम्बन्ध में गरुण पुराण अध्याय – 08 क्या कहता है , इस सम्बन्ध में हम देखेंगे /


=====ओम्=======


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