Friday, May 4, 2012

गरुण पुराण अध्याय आठ का सार

गरुण पुराण अध्याय –08

भाग –01

इस अध्याय का प्रारम्भ श्री गरुण जी के सातवें प्रश्न से हो रहा है जो कुछ इस प्रकार से है -------

हे भगवान ! आप मुझे पवित्र आत्माओं के पारलौकिक कृयाओं को बताएं ?

अर्थात

सात्त्विक गुण धारी ब्यक्ति अपनें आखिरी समय में आवागमन से मुक्ति प्राप्त करनें केलिए

क्या - क्या करता है ?

श्री गरुण जी के इस प्रश्न के सम्बन्ध में प्रभु जो बातें बताते हैं उनका सम्बन्ध निम्न बातों से है /

[]सात्विक ब्यक्ति को कैसे पता चलता है कि अब उसका आखिरी समय आ रहा है?

[]आत्त्विक गुण धारी अपनें आखिरी छः माह की शेष उम्र में मुक्ति प्राप्ति के लिए निम्न कृयाओं को करता है …......

[ ख – १ ] श्री शालिग्राम जी का पूजन

[ ख – २ ] ओम् वासुदेवाय का जप

[ ख – ३ ] ओम् नमः शिवाय का जप

[ ख – ४ ] भगवान के सभीं अवतारों को स्मृति में रखेनें का अभ्यास करना

[ ख – ५ ] विशेष प्रकार के दानों को देना जैसे ------

[ ख – ५. ]

तिल का दान,लोहा-दान,सोना-दान,कपास – दान,नमक – दान,सप्त धान्य – दान,

भूमि-दान और गौ-दान//

अगले अंक में इन सभीं बातों पर चर्चा होगी/

====ओम्======


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