गरुण पुराण अध्याय –08
भाग –01
इस अध्याय का प्रारम्भ श्री गरुण जी के सातवें प्रश्न से हो रहा है जो कुछ इस प्रकार से है -------
हे भगवान ! आप मुझे पवित्र आत्माओं के पारलौकिक कृयाओं को बताएं ?
अर्थात
सात्त्विक गुण धारी ब्यक्ति अपनें आखिरी समय में आवागमन से मुक्ति प्राप्त करनें केलिए
क्या - क्या करता है ?
श्री गरुण जी के इस प्रश्न के सम्बन्ध में प्रभु जो बातें बताते हैं उनका सम्बन्ध निम्न बातों से है /
[क]सात्विक ब्यक्ति को कैसे पता चलता है कि अब उसका आखिरी समय आ रहा है?
[ख]आत्त्विक गुण धारी अपनें आखिरी छः माह की शेष उम्र में मुक्ति प्राप्ति के लिए निम्न कृयाओं को करता है …......
[ ख – १ ] श्री शालिग्राम जी का पूजन
[ ख – २ ] ओम् वासुदेवाय का जप
[ ख – ३ ] ओम् नमः शिवाय का जप
[ ख – ४ ] भगवान के सभीं अवतारों को स्मृति में रखेनें का अभ्यास करना
[ ख – ५ ] विशेष प्रकार के दानों को देना जैसे ------
[ ख – ५. १]
तिल का दान,लोहा-दान,सोना-दान,कपास – दान,नमक – दान,सप्त धान्य – दान,
भूमि-दान और गौ-दान//
अगले अंक में इन सभीं बातों पर चर्चा होगी/
====ओम्======
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