गौ दान
गरुण पुराण अध्याय आठ भाग चार में हम गो - दान के सम्बन्ध में देख रहे हैं / श्री गरुण जी को प्रभु बता रहे हैं की पुत्र द्वारा पिता के उद्धार के लिए उसके क्रिया - कर्म में गौ का दान करना अति महत्व रखता है / गौ दान के सम्बन्ध में निम्न बातों को ध्यान मन रखना चाहिए … .....
गौ दान वेदपाठी ब्राह्मण को दिया जना चाहिए
गौ गाय का रंग लाल या कली होनी चाहिए
गाय दूध देनें वाली हो और उसका बछड़ा होना चाहिए
गाय की सींगों को सोनें से ढकी होनी चाहिए
गाय का खुर चांदी से ढका होना चाहिए
कांसे की दोहनी होनी चाहिए
दो काले कपड़ों से गाय को ढक कर रखें और फिर --------
कपास पर ताम्बे का कलश रखें , कलश के ऊपर लोहें की दंड रखें और सोनें की एक यम की प्रतिमा को भी रखें / एक कासं का कटोरा ले , उसे घी से भरें और वहाँ रखें / ईंख एवं रेशमी धागों से एक नावबनाएँ / मिटटी खोद कर एक नाली बनाएँ जिसे वैतरणी नदी के रूप में देखें और नाली में पानी भरें / नाली में नाव को रखें और नाव पर गाय को खडा करें , गाय की पूंछ दान कर्ता के हाँथ में होनी चाहिए और संकल्प एवं वैदिक विधि से दान करना चाहिए /
आगे गरुण पुरान का नौवां अध्याय देखा जाएगा//
=====ओम्======
No comments:
Post a Comment