Saturday, January 22, 2011

गीता ध्यान

भाग - 06

ध्यान में कैसा भोजन उपयोगी होता है ?

गीता को यदि आप ध्यान के लिए प्रयोग कर रहे हैं तो .......

** सात्त्विक भोजन के लिए गीता कहता है ॥

सात्त्विक भोजन क्या हैं ?
अन्न , बनस्पतियां , फल , फूल , दूध एवं दूध की अन्य बस्तुएं लेकीन इनमें
ऎसी चीजें वर्जित हैं जिनमें चिकनाई हो जैसे काली दाल और .....
लहसुन , प्याज , गर्म मसाले , मिर्च , लाल दाल ऎसी बस्तुएं भी वर्जित हैं ।
भोजन ताजा होना चाहिए , फ्रीज में रखा भोजन दाधक के लिए उत्तम नहीं होता ॥

भोजन का क्या असर ध्यान पर पड़ता है ?
प्रकृति से हम जो कुछ भी ग्रहण करते हैं जैसे ------
भोज्य पदार्थ .....
पेय पदार्थ .....
वायु .....
पांच ज्ञानेन्द्रियों से जो कुछ भी हमारा मन प्राप्त करता है .....
कर्म इन्द्रियों से हम जो कुछ भी प्राप्त करते हैं ......
और मन में संगृहीत सूचनाओं के मनन से जैसा भाव मन में उठता है ......
इन सब से हमारे अंदर का गुण समीकरण बदलता है और गुण समीकरण में आया परिवर्तन ही
हमारे वर्तमान को चलाता है ॥
जैसा गुण समीकरण अन्दर होगा , वैसे बिचार मन - बुद्धि में उठेंगे ....
जैसे बिचार उठते हैं वैसे हम कर्म करते हैं ......
जैसे हम कर्म करते हैं वैसा फल हमें मिलता है ....
और कर्म के आधार पर हमारा अगला जन्म भी आधारित होता है ॥
भोजन बनाना .....
भोजन सामग्री .....
भोजन बनानें वाले और करनें वाले की मन की स्थितियां ......
ऎसी कुछ बातें हैं जिनको हमें ध्यान रखना चाहिए ।
आम तौर पर लोग भोजन के समय टीवी देखते रहते हैं ....
या अखबार पढ़ते रहते हैं या कुछ और करते रहते हैं लेकीन ऐसा करना उचित नहीं ,
क्यों की ----
मन में दो चीजे एक साथ नहीं बसती , मन एक समय में एक बिषय को पकड़ता है और हम
सम्पूर्ण संसार को एक साथ भरना चाहते हैं जो संभव नहीं और यहीं हम भूल कर जाते हैं ॥
छोटी - छोटी बातें हैं जो गंभीर असर हम सब के जीवन पर डालती हैं ॥

==== ॐ ======

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