* यज्ञ के अवसर पर और नौ योगीश्वर राजा निमि को जो तत्त्व ज्ञान दिया था उस ज्ञान को नारद बासुदेव जी को दिया था उस ज्ञान को यहाँ स्पष्ट किया जा रहा है ।
<> योगीश्वरका तत्त्व - ज्ञान <>
^^ तत्त्व - प्रलयके समय :-----
# वायु पृथ्वी से उसके गुण गंध को छीन लेती है और पृथ्वी जल में बदल जाती है ।
# वायु जलसे उसका गुण रसको खीच लेती है और जल अग्नि में बदल जाता है ।
# अन्धकार अग्नि से उसका रूप छीन लेता है और अग्नि वायु में बदल जाती है ।
<> सार <>
** प्रलयके समय पहले जल ही जल होता है फिर जल अग्नि में बदल जाता है और तब सर्वत्र अन्धकार छा जाता है और सर्वत्र अँधेरे में वायु ही वायु
होती है **
## वायुसे आकाश उसके गुण स्पर्श को छीनता है फलस्वरुप वायु आकाश में समा जाती है ।
## आकाश से काल उसके गुण शब्द को छीन लेता है और आकाश तामस अहंकारमें समाजाता है।।
** सारांश **
^^ तत्त्व प्रलय में पहले जल ही जल हो जाता है ,फिर अग्नि ही अग्नि होती है फिर सर्वत्र अन्धकार होता है तथा अन्धकार में वायु ही वायु होती है ।वायु फिर आकाश में समा जाती है और सर्वत्र आकाश की शून्यता हो जाती है औरआकाश तामस अहंकार में रूपांतरित हो जाता है ^^
>> इन्द्रियाँ ,प्राण और बुद्ध राजस अहंकार में बिलीन हो
जाते हैं ।
<< मन और इन्द्रियों के देवतागण सात्विक अहंकार में बदल जाते हैं ।
** तीन अहंकार महतत्त्व में समा जाते हैं ।
** महतत्त्व प्रकृति में लीन हो जाता है ।
** प्रकृति ब्रह्माके सूक्ष्म रूप में समा जाती है ।
*** ॐ ***
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